क्या किसानों द्वारा सड़क रोकने और रेल रोको अभियान को सरकार द्वारा सहयोग देने का कोई फायदा आम आदमी पार्टी को इस इलैक्शन में होगा ?

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क्या किसानों द्वारा सड़क रोकने और रेल रोको अभियान को सरकार द्वारा सहयोग देने का कोई फायदा आम आदमी पार्टी को इस इलैक्शन में होगा ?
शंभु बैरियर पर पिछले काफी दिनों से चल रहे किसानों द्वारा सड़क और रेल रोक कर धरना दिया जा रहा है, हालांकि रेल रोको अभियान को समाप्त किया गया और मीडिया में इसका श्रेय भगवंत मान को दिया गया। यह सब देखने में बहुत सहज लग रहा है और लेकिन सोचने वाली बात है कि आम लोगों को इस आंदोलन से बहुत परेशान होना पड़ा है। उद्योग को भी इसका बहुत नुकसान हो रहा है।
क्या इसका असर भी इस इलैक्शन में नज़र आएगा।
पंजाब पर जितने भी सर्वे आ रहे हैं वो ऐसा बता रहे हैं कि आम आदमी पार्टी को इस चुनाव में 3-4 सीट ही मिलेंगी। 13 सीट में 25-30% सीट जीतने पर आम आदमी पार्टी की कारगुजारी पर प्रश्न चिन्ह लगेगा……
पंजाब में किसान आंदोलन दरअसल हरियाणा कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा व अन्य नेताओं द्वारा चुनाव के लिए भाजपा के खिलाफ जनमत करने हेतु शुरू कराया था, यह आंदोलन सयुंक्त किसान मोर्चा का नहीं अपितु सिर्फ पंधेर और उग्राहां ग्रुप का है। सुना जाता है कि कांग्रेस ने ही इस आदोंलन को फंडिंग भी की है। अब पंजाब सरकार द्वारा इस आंदोलन को मूक सहमति देना भारी पड़ रहा है। न किसानों का समर्थन मिल रहा ना आम जनता का, क्योंकि इस आंदोलन से आम लोगों को बड़ी दिक्कत हो रही है। ऐसा लग रहा है कि आप पार्टी ने यह सब किसी मकसद के लिए किया था। वर्ना भगवंत मान जी ने भी इतने दिनों से सैकड़ों मीटिंग और प्रैस वार्ताएं की पर सावर्जनिक तौर पर कभी किसान संगठनों से आम जनता के लिए रास्ता छोड़ देने की अपील नहीं की। वो चाहते तो बहुत पहले ही रेल यातायात बहाल हो सकता था। वैसे भी मुख्यमंत्री होने के नाते कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी भगवंत मान जी की है। इस आंदोलन को हवा देने की दूसरी वजह थी कि पंजाब में अकाली दल और भाजपा का गठबंधन हो रहा था और सब कुछ लगभग फाईनल हो चुका था, सीट आंबटन तक भी तय हो गया था। ठीक उसी समय पंजाब के किसानों का आंदोलन शुरू करवाया गया और इसका सबसे बड़ा असर हुआ अकाली दल और भाजपा के गठबंधन पर। गठबंधन सिरे नहीं चढ़ सका। अगर आज अकाली दल और भाजपा मिल कर चुनाव लड़ रहे होते तो सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही होता।
पर हम यहाँ दूसरी बात कह रहे हैं, यहाँ एक बात तो स्पष्ट है कि किसान संगठनों के इस आंदोलन के पीछे कयी राजनीतिक मकसद छुपे हैं। राजनीति में हर पार्टी अपना अपना दांव खेलती है। हमें यहाँ ऐसा लग रहा है कि आम आदमी पार्टी को यह आंदोलन नुकसान पहुंचाएगा। उम्मीद है कि आने वाले दस दिन बाद जब नतीजे आएंगे तो वो पंजाब की राजनीति में हालात उथल पुथल वाले होंगे