पंजाब में हथियार रखने के शौकीनों के लिए जरूरी खबर, हाईकोर्ट ने की सख्ती

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चंडीगढ़ : पंजाब में विवाह या अन्य समागमों में फायरिंग या हथियारों के प्रदर्शन को लेकर जैसे ही मामला फिर से सुनवाई के लिए हाईकोर्ट में आया तो जस्टिस हरकेश मनुजा ने पंजाब सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या हथियारों के महिमामंडन वालों पर दर्ज एफ.आई.आर. के बाद व आरोप पत्र में नामजद व्यक्तियों के हथियार लाइसेंस रद्द करने के लिए आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। अदालत ने समारोह में हथियारों का प्रदर्शन और सोशल मीडिया पर प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ  5 साल का ब्यौरा हलफनामे के जरिये पेश करने के आदेश दिए हैं।

जस्टिस मनुजा ने पूछा है कि पिछले 5 वर्षों में सोशल मीडिया जैसे कि व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हथियारों का महिमामंडन करते हुए अपनी तस्वीरें अपलोड करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कितनी एफ.आई.आर. दर्ज की गई है। अदालत में पेश हुए सरकारी वकील ने संबंधित अथॉरिटी द्वारा असला लाइसेंसों पर पुनर्विचार करने और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए अधिक अतिरिक्त समय की मांग की, जिस पर अदालत ने कहा कि यह 1 अक्टूबर 2019 से 31 दिसंबर 2023 तक 34,768 हथियारों के लाइसेंस जारी किए गए हैं।

जस्टिस मनुजा ने पहले ही राज्य को एक हलफनामे में यह बताने के लिए कहा था कि क्या इस अवधि के दौरान जारी किए गए लाइसेंसों की संबंधित अथॉरिटी द्वारा समीक्षा की गई है। राज्य के पुलिस डॉयरेक्टर जनरल को भी प्रोटोकॉल की मौजूदगी पर अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया है।  राज्य में ‘शस्त्र लाइसेंस’ देने के लिए शस्त्र अधिनियम 1959 के तहत दिशानिर्देश या मानदंड पूरे किए गए हैं लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया, जिस पर अदालत ने पंजाब के डी.जी.पी. को हर जिले में किए गए अचनचेत दौरे की गिनती और नवंबर 2022 से सार्वजनिक तौर पर हथियारों की प्रदर्शनी को रोकने के लिए की गई कार्रवाई का विवरण अदालत के सामने पेश करने का भी आदेश दिया गया है।

अदालत को यह सुनिश्चित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की व्याख्या करने के लिए कहा गया था कि  ‘शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 13 (2) के तहत आवश्यक निकटतम पुलिस स्टेशन के इंचार्ज की रिपोर्ट से छेड़छाड़ नहीं की जा रही है। अदालत ने कहा कि अदालत को सूचित किया गया था कि पंजाब सरकार ने  13 नवंबर, 2022 को सार्वजनिक स्थानों और सोशल मीडिया पर हथियारों के उपयोग और प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के आदेश/दिशानिर्देश जारी किए थे।