दिल्ली LG द्वारा केजरीवाल के खिलाफ NIA जांच की सिफारिश देश की राजनीति में नया गुल खिला सकती है।
हो सकता है कि इसका पंजाब की राजनीति पर भी असर हो।
AAP ने कहा कि केन्द्र सरकार की एक और बड़ी साजिश है।
दिल्ली के उपराज्यपाल श्री वीके सक्सेना ने केओ सरकार से NIA से जांच की सिफारिश की है और चूंकि शिकायत एक मुख्यमंत्री के खिलाफ की गई है और एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन से लिए गए राजनीतिक फंडिंग से संबंधित है, ऐसे में शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की फोरेंसिक जांच की जरूरत है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) के खिलाफ एनआईए जांच की सिफारिश पर एलजी ने प्रतिबंधित संगठन “सिख फॉर जस्टिस” से कथित तौर पर राजनीतिक फंड लेने को लेकर लग रहे आरोपों पर जांच की जाए।
उपराज्यपाल को शिकायत मिली थी कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) को देवेंद्र पाल भुल्लर की रिहाई की सुविधा देने और खालिस्तान समर्थक भावनाओं को बढ़ावा देने के लिए चरमपंथी खालिस्तानी समूहों से भारी धनराशि (तकरीबन 16 मिलियन अमेरिकी डालर) मिली थी.
वहीं आम आदमी पार्टी ने इसे एक और साजिश करार दिया है. NIA जांच की सिफारिश पर AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि LG साहब भाजपा के एजेंट हैं. ये CM केजरीवाल के खिलाफ एक और बड़ा षड्यंत्र है. भाजपा के इशारे पर ये साजिश रची गई है.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा दिल्ली में सातों सीट हार रही है और हार के डर से वो बौखला गई है. उन्होंने कहा कि पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले फंडिंग से जुड़े घिसे-पिटे आरोप लगाना भाजपा का राजनीतिक षड़यंत्र है. इसी मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग वाली जनहित याचिका दो साल पहले हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी. 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने यही आरोप लगाए थे, गृहमंत्री ने जांच भी कराई थी, पर कुछ नहीं निकला. अब एक बार फिर वही आरोप एक संगठन के अध्यक्ष, उसके महासचिव और भाजपा के एक नेता ने लगाया है. उस आरोप की सुर्खियां बटोरने के लिए एलजी जांच करा रहे. उन्होंने कहा कि अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य, मुफ्त बिजली, पानी देने वाले सीएम केजरीवाल को अपमानित करने वाली भाजपा को हराकर जनता इसका जवाब देगी.
लेकिन अगर यह जांच का दायरा बड़ा तो केजरीवाल के लिए आने वाले दिनों में मुश्किलें और बढ़ेंगी। हो सकता है कि इस जांच की आंच पंजाब तक भी पहुंचे। अगर ऐसा हुआ तो भंगवत मान को भी इसकी आंच भुगतनी होगी और पंजाब की राजनीति में एक भूचाल भी आ सकता है।
इलैक्शन के बाद भी यह सब अभी लम्बा चलेगा।