जालंधर, पीटीआई। पंजाब भाजपा प्रभारी विजय रूपाणी ने बुधवार को कहा कि केवल भाजपा ही राज्य को प्रगति के पथ पर ले जा सकती है। उन्होंने आगामी जालंधर संसदीय उपचुनाव के लिए पार्टी के लिए प्रचार किया। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री रूपाणी ने निर्वाचन क्षेत्र में “विकास की कमी” के लिए कांग्रेस और राज्य में “बिगड़ती” कानून व्यवस्था के लिए आप सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
बता दें कि इसी साल जनवरी में कांग्रेस सांसद संतोख सिंह चौधरी का निधन हो गया था। इसी वजह से 10 मई को होने वाला जालंधर लोकसभा उपचुनाव जरूरी हो गया था। यह निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता है जो 1999 से यहां अपराजित है। आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस, आप, शिरोमणि अकाली दल-बसपा और भाजपा जीत का दावा ठोक रही है।
बीजेपी ने दलित सिख इंदर इकबाल सिंह अटवाल को मैदान में उतारा है, जिन्होंने पार्टी में शामिल होने के लिए शिरोमणि अकाली दल छोड़ दिया था। अटवाल पंजाब विधानसभा के पूर्व स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल के बेटे हैं। 2020 में शिरोमणि अकाली दल से नाता तोड़ने के बाद भाजपा पंजाब में अपने दम पर अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ रही है।
कांग्रेस ने स्वर्गीय संतोख चौधरी की पत्नी करमजीत कौर को मैदान में उतारा है, जबकि आप के उम्मीदवार पूर्व विधायक सुशील रिंकू हैं, जिन्होंने पंजाब में सत्तारूढ़ आप में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी। बसपा समर्थित शिअद के उम्मीदवार दो बार के विधायक सुखविंदर कुमार सुखी हैं।
विजय रूपानी ने दावा किया कि जालंधर के लोगों को लगता है कि पिछले नौ वर्षों में निर्वाचन क्षेत्र में कोई विकास नहीं हुआ जब इसका प्रतिनिधित्व कांग्रेस सांसद ने किया था। पंजाब में भगवंत मान सरकार की आलोचना करते हुए रूपाणी ने कहा कि लोग आप से ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, जिसने उनसे ‘झूठे वादे’ किए और भारी जनादेश मिला।
रूपाणी ने आरोप लगाया कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। यहां कोई भी सुरक्षित महसूस नहीं करता है और इसलिए वे आप से परेशान हैं। भाजपा नेता ने यह भी दावा किया कि पंजाब के लोग चाहते हैं कि कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर हो जैसे कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में है। रूपाणी ने कहा, “हमने साबित कर दिया है कि जहां भी बीजेपी की सरकार होती है, वहां विकास होता है।”
भाजपा नेता ने कहा कि भविष्य में शिरोमणि अकाली दल के साथ फिर से गठबंधन की कोई संभावना नहीं है और राज्य में भाजपा अकेले चुनाव लड़ेगी। बता दें कि SAD ने साल 2020 में अब निरस्त कृषि कानूनों को लेकर भाजपा से नाता तोड़ लिया था।