जालंधर : पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने आज जंग-ए-आजादी यादगार करतारपुर के निर्माण सबंधी फंडों में बड़े स्तर पर घपलेबाजी करके सरकारी खजाने को करोड़ों रुपए का वित्तीय नुक्सान पहुंचाने के आरोप में 26 आरोपियों के विरुद्ध केस दर्ज करके 15 अधिकारियों व कर्मचारियों सहित एक निजी व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिन्हें कल अदालत में पेश किया जाएगा। इस मामले में अन्य भगौड़े पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी आईएएस विनय बुबलानी के आवास और अन्य ठिकानों पर गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।
इस संबंधी जानकारी देते विजीलैंस प्रवक्ता ने बताया कि जांच में पाया गया कि 2012 में तत्कालीन पंजाब सरकार ने महाराजा रणजीत सिंह के समय से लेकर भारत की आजादी तक यानी वर्ष 1947 तक भारत के स्वतंत्रता संग्राम और पंजाबियों की स्वतंत्रता की भूमिका को दर्शाते हुए एक स्मारक बनाने का प्रस्ताव रखा, ताकि आने वाली पीढ़ियों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में पंजाबियों के इतिहास और योगदान के बारे में पता चल सके। पंजाब सरकार ने उपरोक्त परियोजना को पूरा करने के लिए 315 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की और राष्ट्रीय राजमार्ग करतारपुर जिला जालंधर पर स्थित 25 एकड़ प्रमुख भूमि इस उद्देश्य के लिए अलाट की गई। पंजाब सरकार द्वारा इस परियोजना के कार्य को पूरा करने के लिए विभिन्न कमेटियों का गठन किया गया था, जिसमें उक्त पत्रकार को अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। जांच में पाया गया कि उक्त पत्रकार ने एक अन्य के साथ मिलकर अनुमानित राशि से ज्यादा भुगतान किया गया। जांच के दौरान पता चला कि जंग-ए-आजादी के निर्माण के लिए नक्शा/योजना तैयार करने के लिए राज रवेल मास्टर टेक्निकल कंसल्टेंट को करीब 6 करोड़ और ईडीसी, क्रिएटिव टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस लिमिटेड को करीब 3 करोड़ रुपए दिए गए थे।
जिक्रयोग्य है उक्त स्मारक के लिए 315 करोड़ रुपए का बजट रखा गया था, जिसके निर्माण दौरान पैसों की हेराफेरी को लेकर एक बड़ा स्कैम सामने आया था। विजीलैंस ने उक्त राशि को लेकर पूरी जांच कर रही है तथा पता लगाया जा रहा है कि कौन सी राशि कब रिलीज हुई और इसका इस्तेमाल कहां-कहां हुआ। इन सभी तथ्यों की जांच विजीलैंस बारीकी से कर रही है।