चंडीगढ़: ब्यास नदी किनारे चल रहे राधा स्वामी सत्संग भवन ब्यास के संचालकों पर जमीन पर कब्जा कर अवैध निर्माण व अवैध खनन का आरोप लगाते हुए एक जनहित याचिका दाखिल हुई है जिस पर सुनवाई करते हुए कार्यकारी चीफ जस्टिस पर आधारित बैंच ने केंद्र सरकार, पंजाब सरकार, डेरे व अन्य को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।
कोर्ट ने राधा स्वामी सत्संग भवन ब्यास के आसपास किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी है। लोक भलाई इंसाफ वैल्फेयर सोसायटी अमृतसर के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा ने याचिका दाखिल करते हुए जमीन पर अवैध कब्जे व खनन का मुद्दा हाईकोर्ट के समक्ष रखा है। याची कर्ताओं ने तर्क दिया है कि डेरा राधा स्वामी सत्संग ब्यास ने अपने कब्जे वाले क्षेत्र को गैर-कानूनी तरीके से बढ़ाने की कोशिश की है। याची ने उदाहरण देते हुए बताया कि ब्यास नदी ने धूसी बांध बनने के बाद अस्वाभाविक रूप से 2 किलोमीटर तक अपना रास्ता बदल लिया, जिसके कारण लगभग 2500 एकड़ खेती योग्य भूमि नष्ट हो गई है। ब्यास नदी के मार्ग में उक्त परिवर्तन अवैध खनन गतिविधियों के साथ-साथ डेरा द्वारा किए जा रहे अवैध निर्माणों के चलते हुआ है। याचिका में बताया गया कि नदी के तल से रेत निकाली जा रही है और डेरा अवैध रूप से अपनी सीमाओं का विस्तार कर रहा है। वर्ष 2005 में जालंधर के डी.सी. की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी। उस कमेटी ने सरकार को भेजे संवाद में डेरे की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी थी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
याचिकाकर्ता ने अपील की है कि इस मामले की जांच एक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज को सौंपी जाए। इसके साथ ही नए सिरे से राजस्व रिकॉर्ड तैयार करने और गिरदावरी का निर्देश जारी करने की अपील हाईकोर्ट से की है। नदी का बहाव बदलने के कारण स्थानीय लोगों को हुए नुक्सान की समीक्षा कर डेरा ब्यास संचालकों को मुआवजा जारी करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। कोर्ट को बताया गया कि ब्यास नदी का बहाव बदलने के कारण अब आबादी बाढ़ के खतरे में है। ऐसे में बाढ़ को रोकने के लिए भी योजना बनाए जाने के निर्देश देने की मांग भी की गई है।