जालंधर : देश भर में हो रहे संसदीय चुनावों में पंजाब की लगभग हर बड़ी राजनीतिक पार्टी में नए रुझान बन रहे हैं। जालंधर संसदीय क्षेत्र में 2 प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार दलबदल के कारण टिकट पाने में सफल रहे। इसीलिए पवन टीनू को ‘आप’ का उम्मीदवार घोषित करने के साथ ही अकाली दल नेतृत्व की ओर से उपयुक्त उम्मीदवार की तलाश जारी है। जानकारी के अनुसार जिला व यूथ अकाली दल नेतृत्व ने पार्टी अध्यक्ष को अकाली पृष्ठभूमि व पंथक सोच वाले सिख चेहरे को उम्मीदवार के तौर पर आगे लाने की जानकारी दी है।
बसपा पृष्ठभूमि के एक उम्मीदवार डॉ. सुक्खी बसपा से समझौते के बावजूद उपचुनाव हार गए थे। बसपा पृष्ठभूमि के कारण अकाली दल का साथ छूट गया और स्थानीय नेतृत्व बसपा पृष्ठभूमि के किसी अन्य पूर्व विधायक को संसदीय चुनाव में आगे लाने पर भी सहमत नहीं हुए। जिला अकाली नेतृत्व का तर्क है कि अगर अकाली हाईकमान पंथक मुद्दे पर उतर आया है तो उसे अकाली विरासत वाले उम्मीदवार को आगे लाना चाहिए, जिससे शिरोमणि कमेटी और विधानसभा चुनाव के लिए अच्छी जमीन तैयार होगी। इसी वजह से कुछ दिनों से अकाली हलकों में जालंधर हलके से सरबण सिंह फिल्लौर, प्रो. हरबंस सिंह बोलीना और पूर्व एस.एस.पी. हरमोहन सिंह संधू के नामों की चर्चा हो रही है।
अकाली दल इस बार अढ़ाई दशक बाद बिना किसी राजनीतिक गठबंधन के चुनाव मैदान में है। किसानी मोर्चे के दौरान अकाली-भाजपा गठबंधन के रिश्ते दोबारा नहीं जुड़े। बसपा से कई बार राजनीतिक गठबंधन बना और टूट गया। इस बार चूंकि बी.एस.पी. ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है, इसलिए अकाली दल को दलित वोटों का बड़ा हिस्सा खोना पड़ सकता है। इस अंतर को भरने के लिए अकाली दल के लिए सांप्रदायिक वोटों की ओर लौटना जरूरी है, जो कि कई मुद्दों पर अकाली नेतृत्व से नाराज है। किसान वोट भी ज़्यादातर सिख चेहरे की ओर लौटेगा।