सरकारों को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए, एस एम एस माफिया पर नकेल लगाना चाहिए।
छोटे उद्योग को सर्वाइव करना मुश्किल होगा।
पिछले एक सप्ताह में स्टील उत्पादों के दाम लगभग 5000 रुपये प्रति टन बढ़ गए हैं। जो स्टील इंगट एक सप्ताह पहले 42,000 रुपये प्रति टन थी, वह अब 47,000 रुपये प्रति टन हो गई है। इतने कम समय में इतनी बड़ी बढ़ोतरी शायद पहले कभी नहीं देखी गई हो।
इसमें एस.एम.एस. माफिया के हाथ स्पष्ट लग रहा है। स्टील की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ ही सरकारी स्टील कंपनियों ने भी अपने दाम बढ़ा दिए हैं।
इंजीनियरिंग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने बताया कि नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत होते ही एस.एम.एस. माफिया ने अपना खेल दिखा दिया और सिर्फ 7 दिनों में ही स्टील की कीमतों को आसमान छू लिया है।
इनके इस षड्यंत्र में सरकारी और बड़े स्टील प्लांट भी शामिल हैं। उन्होंने अपने दामों को एक दिन में ही 2000 रुपये प्रति टन बढ़ा दिया और साथ ही स्टील की नकली किल्लत पैदा कर दी, जिससे लोहे की धांधली शुरू हो गई है।
स्टील के दामों में उछाल के कारण स्कैफफोल्डिंग एंड ऑटोपार्ट्स इंडस्ट्रीज प्रभावित हो सकती हैं। इसी तरह सभी प्रकार के स्टील उत्पादों की कीमतें भी 10 से 12 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है। इसका मुख्य कारण चुनावों के चलते स्टील कंपनियों की मनमानी है।
इसको नियंत्रण में लाने के लिए स्टील मंत्रालय को हस्तक्षेप करने को इंजीनियरिंग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन द्वारा कहा गया है।
दूसरी ओर, क्रूड की कीमत 18% बढ़ गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 91 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई है। इस बीच हवाई यातायात भी करीब 4 गुना महंगा हो गया है। इसके चलते सभी चीजें महंगी हो सकती हैं, और भारत जैसे देशों के लिए यह बड़ा झटका हो सकता है क्योंकि यहां क्रूड की 80% आयात की जाती है। इससे पेट्रोल-डीजल जैसे उत्पाद महंगे हो सकते हैं और मालों की ढुलाई महंगी होने से सभी उत्पादों की मूल आवश्यकताएं महंगी हो सकती हैं।