जालंधर : कांग्रेस विधायक विक्रमजीत सिंह चौधरी के पाला बदलने बारे अभी संशय की स्थिति बनी हुई है। आज विक्रमजीत सिंह चौधरी की मां कर्मजीत कौर कांग्रेस को अलविदा कहते हुए भाजपा में शामिल हो गई थी। उनके साथ विक्रमजीत सिंह चौधरी आज फिलहाल भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं।
विक्रमजीत सिंह चौधरी के भाजपा में शामिल न होने को लेकर कई तरह की चर्चाएं सियासी हलकों में चल रही हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा में शामिल होने पर विक्रमजीत सिंह चौधरी को विधायक पद छोड़ना पड़ेगा। भाजपा के कुछ नेता यह भी मानते हैं कि विक्रमजीत चौधरी को कांग्रेस में ही रह कर भाजपा की मदद करनी चाहिए। इस संबंध में वह परनीत कौर का उदाहरण देते हैं जिन्होंने सांसद पद से इस्तीफा नहीं दिया था परन्तु काफी समय से वह भाजपा की मदद कर रही थी। अगर वह तुरन्त इस्तीफा नहीं भी देते हैं तो भी उन्हें अगले कुछ दिनों में इस्तीफा देना पड़ेगा जिससे विधायक के नाते मिलने वाली सुविधाओं से वह वंचित हो जाएंगे।
बताया जा रहा है कि भाजपा के नेताओं ने ही विक्रमजीत सिंह चौधरी को फिलहाल देखो व इंतजार करो की नीति पर चलने के लिए कहा है। विक्रमजीत सिंह चौधरी को लेकर भाजपा के अंदर दो तरह के विचार चल रहे हैं। कुछ नेताओं ने उन्हें कहा है कि वह कांग्रेस के भीतर बनें रहें और कांग्रेस में रह कर ही लोकसभा चुनाव में भाजपा की मदद करें। इससे एक तो वह विधायक पद को बचाने में कामयाब हो जाएंगे और दूसरा उन्हें इस्तीफा भी नहीं देना पड़ेगा। भाजपा यह भी समझती है कि अगर विक्रमजीत चौधरी इस्तीफा देते हैं तो उस स्थिति में फिल्लौर विधानसभा सीट पर उप-चुनाव करवाया जाएगा। यह उप-चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ नहीं होगा। ऐसी स्थिति में फिल्लौर सीट पर उप-चुनाव करवाना पड़ेगा।
भाजपा कभी भी उप-चुनाव का खतरा मोल नहीं लेगी। इसीलिए भाजपा में शामिल हुए शीतल अंगुराल का भी इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है क्योंकि राज्य की सत्ताधारी पार्टी ‘आप’ का मानना है कि उप-चुनाव लोकसभा चुनाव सम्पन्न होने के 6 महीने के अंदर होने चाहिए। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए ही उप-चुनाव से बचाव के लिए फिलहाल विक्रमजीत सिंह चौधरी का इस्तीफा नहीं दिलवाया गया है। अभी इस संबंध में पूरी स्थिति अगले 1-2 दिनों में साफ हो जाएगी।