स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान से मिली आजादी, तिरंगा हमारे अस्मिता का है परिचायक: Chief speaker Navdeep

freedom-struggle

93
0

जालंधर: स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में तिरंगा ध्वजारोहण व देशभक्ति से भरपूर सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थानीय पीली कोठी, गोपाल नगर में डॉ. हेडगेवार स्मारक संघ द्वारा करवाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ तिरंगा ध्वजारोहण करने के उपरांत राष्ट्रीय गान से हुआ। इस कार्यक्रम में साईं दास ए.एस. सीनियर सैकेण्डरी स्कूल के प्रिंसीपल राकेश शर्मा, मुख्य अतिथि और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक नवदीप जी मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित हुए। इस कार्यक्रम में मंच संचालन तथा आये आगुंतकों को धन्यवाद ज्ञापन कंकेश ने किया। कार्यक्रम में प्रमोद जी, उत्तर क्षेत्र सामाजिक समरसता संयोजक, ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के सभी स्वतंत्रता सेनानियों का यही स्वप्न था स्वतंत्र भारत एक अखंड एवं समरस राष्ट्र बने. सारा समाज एक कुएं से पानी पी सके, एक शमशान में सबका अंतिम संस्कार हो सके एवं एक मंदिर में सब इकट्ठे होकर सहभागी हों सकें, ऐसा समरस समाज हमें बनाना है.शहीद भगत सिंह ने भी अपने जीवन के अंतिम चरण में बलिदान होने से पहले पूरे समाज को सामाजिक समरसता का संदेश दिया।

अपने सम्बोधन में मुख्य वक्ता श्री नवदीप जी ने कहा कि भारत हर साल 15 अगस्त का दिन अपनी स्वतंत्रता का राष्ट्रीय उत्सव मनाता है। इस दिन के लिए भारत के कई वीर-सपूतों और वीरांगनाओं ने अपनी जान की बाजी लगाई थी और 200 साल से भी ज्यादा तक भारत पर राज करने वाले ब्रिटिश शासकों को घुटनों पर ला दिया था। 1857 के स्वतंत्रता समर में 300000 बलिदान,कूका आंदोलन, चाफेकर बंधु, श्याम जी वर्मा, वीर सावरकर, मदन लाल ढींगरा, बाल-पाल-लाल, अरविन्द घोष, करतार सिंह सराभा, सोहन सिंह बखना, लाला हरदयाल, भाई परमानन्द, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़ उला खान, राजेंद्र नाथ लाहिरी, चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, कुंदन लाल गुप्ता, शिव लाल वर्मा, दुर्गा भाभी, सुशीला दीदी, बटुकेश्वर दत्त, जतिन दास, सुभाष चंद्र बोस जैसे अनगिनत क्रन्तिकारियों के प्रयास एवं बलिदान से 15 अगस्त 1947 में, भारत ने लंबे संघर्ष के बाद ब्रिटिश औपनिवेशिक शासकों से आजादी हासिल की. स्वतंत्रता दिवस हमारे देश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करने का एक अवसर है।

यहां एक तरफ भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ तो दूसरी तरफ 14 अगस्त 1947 को भारत का एक बहुत बड़ा भूभाग विभाजित भी हुआ. 1836 में भारत का भूभाग 82 लाख वर्ग किलोमीटर था, जो 15 अगस्त 1947 को 32 लाख वर्ग किलोमीटर रह गया. प्राचीन अखंड भारत से धीरे-धीरे अफगानिस्तान, नेपाल,भूटान,श्रीलंका, म्यांमार,पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत से कट गए.इसलिए आज के दिन हमें अपने भारत को अखंड करने का संकल्प भी मन में बनाए रखना है। जैसे कि अटल जी कि कविता है। बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥ दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएँगे। गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएँगे॥ उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें॥

इस कार्यक्रम में मुख्या अतिथि के रूप में पहुंचे श्री राकेश शर्मा जी ने कहा कि आजादी का मतलब सिर्फ आजाद होना नहीं, बल्कि देश की तरक्की में योगदान देना है। हम लोग शहीदों की कुर्बानी को याद रखें और उनके कुर्बानी को व्यर्थ न जाने दें, यही प्रयास करना चाहिए।इस अवसर पर मौजूद लोगों ने भारत माता की जय, वंदेमातरम जैसे देशभक्ति के नारे लगाए जबकि नौजवानों ने देशभक्ति के तराने गूँजाते हुए नृत्य प्रदर्शन किया।