सबसे खतरनाक महिला जासूस! जिस पर लगा 50 हजार सैनिकों की हत्या का आरोप, क्या आपको पता है उसकी कहानी?

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दो देशों के बीच सिर्फ सेनाएं ही जंग नहीं लड़ती हैं बल्कि एक युद्ध और लड़ा जाता है जिसके बारे में आम लोगों को कुछ पता नहीं चल पता. यह युद्ध दरअसल जासूसी के मैदान में लड़ा जाता है. खुफिया जानकारियां इस युद्ध में सबसे बड़ी हथियार होती हैं. जासूसी के दुनिया में कुछ नाम ऐसे हुए हैं जिन्होंने हैरान कर देने वाले कारनामे अंजाम दिए हैं. इस लिए लिस्ट में पुरुष जासूसों के साथ ही महिला जासूसों के नाम भी शामिल हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक महिला जासूस के बारे में बताने जा रहे हैं जिनहें पूरी दुनिया माता हरी  के नाम से जानते हैं. माता हारी को न्यूड डांसिंग यानी नग्न अवस्था में किए जाने वाले डांस को पॉपुलर करने का श्रय भी दिया जाता है. उनके दीवानों की कमी नहीं थी इसमें तमान देशों के सैन्य जनरल, व्यापारी और मंत्री शामिल थे.

नीदरलैंड में हुआ था जन्म: माता हरी का असली नाम मार्गरेटा गीर्टरुइडा ज़ेले  था और उनका जन्म 1876 में नीदरलैंड में हुआ था. उनकी शादी डच फौजी अफसर से हुई थी लेकिन 1902 में रिश्ता खत्म हो गया. इसके बाद माता हरि ने अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने की ठानी. उनके डांस ने उनके सपने पूरे करने शुरू कर दिए. उनके फैन्स की लाइनें लग गईं और वह यूरोप की सबसे मशहूर डांसरों में शामिल हो गईं.

पहले विश्व युद्ध में बनी जासूस: पहले विश्व युद्ध में फ्रांस की खुफिया एजेंसियों की नजर माता हारी पर पड़ी. उन्हें पैसे के बदले जर्मन अधिकारियों से सूचना इकट्ठी करने का काम सौंपा गया. हालांकि वह डबल एजेंट बन गई और उन्होंने जर्मनी के लिए भी जासूसी करनी शुरू कर दी. उनका डांस अधिकारियों से राज निकवालने में उनका मददगार बना.

जल्द खुल गया दोनों देशों के लिए जासूसी करने का राज

माता हरी का दोनों देशों के लिए जासूसी करने का सीक्रेट ज्यादा दिनों तक छिपा न रहा. एक दिन उनके डबल एजेंट होने की बात दोनों देश जान गए. फ्रांस की खुफिया एजेंसी ने उनके खिलाफ सबूत इक्ट्ठे किए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया और आरोप लगाया कि उनकी वजह से ही फ्रांस के पचास हजार सैनिकों की मौत हुई है. कहा जाता है कि इन सैनिकों की मौत उन हमलों में हुई थी, जो माता हारी द्वारा जानकारी लीक करने के कारण जर्मनी ने फ्रांस पर किए थे.

माता हरी पर केस चला. उन्होंने अपने खिलाफ लगाए सभी आरोप नकार दिए लेकिन इतना काफी नहीं था. उन्हें देश से गद्दारी के लिए मौत की सजा सुनाई गई. 41 साल की उम्र में अक्टूबर 1917 को में उन्हें गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया.

माता हरी का शव को कोई लेने नहीं आया. इसलिए शव को पेरिस के मेडिकल स्कूल में चीड़फाड़ कर प्रयोग करने के लिए भेज दिया गया. उनका चेहरा एनॉटॉमी म्युजियम में संग्रहित किया गया लेकिन 26 साल पहले वह वहां से गायब हो गया.