मई-जून में वार्डबंदी की तैयारी, अब निगम के चुनाव से लोग चुनेंगे शहर की सरकार, सितंबर में शुरू होगा प्रोसीजर
कैंट के 12 और नकोदर रोड के मलको गांव को नगर निगम की सीमा में मिलाने से बढ़ेगी वार्डों की गिनती
विधानसभा चुनाव के बाद अब जालंधर के लोग इसी साल अपने शहर की सरकार भी चुनेंगे। यह प्रोसीजर सितंबर में शुरू होगा, लेकिन इससे पहले मई-जून में नई वार्डबंदी शुरू होगी। इसका खास फैक्टर यह है कि कैंट विधानसभा हलके से जिन 12 गांवों को मिलाकर नए वार्ड बनेंगे, उनमें 60 फीसदी आबादी एससी कैटेगरी की है।
वर्तमान में एससी रिजर्व वार्डों की संख्या 24 है, जोकि अब और ज्यादा हो जाएगी। इस संबंध में गांवों के सरपंचों से मेलजोल शुरू हो गया है। शहर में वेस्ट, करतारपुर विधानसभा हलके आरक्षित हैं, जबकि सेंट्रल, कैंट, नाॅर्थ जनरल कैटेगरी हैं। दरअसल, नई सरकार बनने के तुरंत बाद नगर निगम में आरक्षित आबादी पर आधारित वार्डबंदी होनी है। निगम के जानकार बताते हैं कि वार्ड 90 हो सकते हैं।
बीसी आरक्षित वार्डों में पुरुष ही होता है पार्षद
13 नए गांव निगम हद में आने पर वार्डों की संख्या बढ़ानी पड़ेगी। ऐसे में कैटेगरी वाइस वार्डबंदी होगी। इसका एक तय फार्मूला है, जिसमें कुल वार्डों का 50 फीसदी महिलाओं के लिए रिजर्व है। फिर महिलाओं में आधा रिजर्व कैटेगरी की महिलाओं के लिए फिक्स रहेगा, जबकि जालंधर कुल वार्ड का 25 से 30 फीसदी तक आरक्षित श्रेणी के लिए रखा जाता है। जिन इलाकों में 40 फीसदी से ज्यादा आरक्षित श्रेणी की पापुलेशन है, वहां के वार्ड भी आरक्षित होते हैं। इसी के अनुसार अभी जालंधर के कुल 80 में से 24 वार्ड आरक्षित श्रेणी और 2 बीसी कैटेगरी के लिए हैं, जबकि बाकी 54 वार्ड जनरल कैटेगरी के हैं। इनमें से 27 वार्ड जनरल कैटेगरी की महिला के लिए हैं। बीसी कैटेगरी में तय वार्ड में दोनों ही पुरुष ही कौंसलर होते हैं। कैंट के खांबड़ा, अलीपुर, फोलड़ीवाल का एक हिस्सा, सुभाना, धीणा, संसारपुर, अलादीनपुर, खुसरोपुर, सोफी पिंड, दीपनगर, रहमानपुर, नंगलकरार खां और नकोदर का मलको सिटी में जुड़ेगा। पूर्व मेयर सुनील ज्योति का कहना है कि पिछली बार वार्डों की संख्या 20 बढ़ाई गई थी, अगर सिटी की हदें बढ़ानी हैं तो पहले ही उन्हें नोटीफाइड करके वार्डबंदी फाइनल होनी चाहिए।
जब अकाली-भाजपा इकट्ठे थे तो मेयर भाजपा का होता था, जबकि सीनियर डिप्टी मेयर अकाली दल का होता था। अब गठबंधन खत्म है तो दोनों अलग-अलग फैसले लेंगे।
इस बार अकाली-बसपा का गठबंधन निगम चुनाव में जारी रहा तो आरक्षित सीटों पर बसपा ज्यादा मजबूत होगी। पहले अकाली दल लड़ता ही केवल सीमित सीटों पर था।
कांग्रेस के विधायकों को विधानसभा चुनाव के दौरान कौंसलरों की बगावत का सीधा सामना करना पड़ा था। अब जो नए वार्ड बनेंगे तो हदबंदी में कई नेताओं के परिवार में लगातार आने वाली सीटें खत्म करने को उनकी कैटेगरी बदलने पर जोर रहेगा। ऐसे में उनके वार्डों के इलाके बाकी में बांटकर वार्ड खत्म करने पर जोर रहेगा।
भाजपा की तरफ 20 साल से चुनाव लड़ने वाले मनजिंदर सिंह चट्ठा अकाली दल के समर्थन में भी आए थे। ऐसे में भाजपा भी उनके वार्डों के आसपास नए नेताओं को मजबूत करेगी।
आइए जानें वार्डबंदी का गणित
वर्तमान में 24 एससी वार्ड हैं, जबकि नए वार्ड के लिए इलाके की आरक्षित श्रेणी के वोटरों की गिनती देखी जाती है।
वर्तमान में 2 वार्ड बीसी रिजर्व्ड हैं। दोनों बीसी श्रेणी के पुरुषों के लिए ही होते हैं।
फार्मूला- कुल वार्डों में से 50 फीसदी महिलाओं के लिए रिजर्व होते हैं। इसके अलावा कुल 24 एससी वार्डों में से भी 50 फीसदी यानी 12 वार्ड एससी महिलाओं के लिए ही रिजर्व होते हैं।
वर्तमान में निगम में कुल 80 में से 39 वार्ड महिलाओं के हैं।
बाकी 54 वार्ड जनरल कैटेगरी के लिए हैं।