मानसून सत्र के दौरान लोकसभा की कार्य उत्पादकता रही 45 प्रतिशत : Om Birla

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नई दिल्लीः मानसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों के हंगामे और नारेबाजी के कारण लोकसभा में सिर्फ 45 प्रतिशत कामकाज ही हो पाया है। शुक्रवार को सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले सदन में सत्र के दौरान हुए कामकाज की जानकारी देते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि 20 जुलाई से प्रारंभ हुए मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में 17 बैठकें हुई, जो लगभग 44 घंटे 15 मिनट तक चली।

मानसून सत्र में गौरव गोगोई द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया, जिस पर 8, 9 और 10 अगस्त को चर्चा हुई। अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में 19 घंटे 59 मिनट तक चर्चा हुई, 60 सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया और यह अविश्वास प्रस्ताव अस्वीकृत हुआ उन्होंने कहा कि सत्र में 20 सरकारी विधेयक पेश किए गए और बहुराज्य सहकारी सोसाइटी  विधेयक -2023, डिजिटल वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक-2023 , राष्ट्रीय परिचर्या और प्रसूति विद्या आयोग विधेयक -2023, राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक – 2023, जन विश्वास  विधेयक -2023, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक -2023 और अंतर-सेना संगठन  विधेयक- 2023 समेत 22 विधेयक पारित हुए।

बिरला ने आगे कहा कि सत्र के दौरान 50 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए। शेष तारांकित प्रश्नों के उत्तर सभा पटल पर रखे गए। 9 अगस्त, 2023 को सभी 20 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए। नियम 377 के अधीन 369 मामले लिए गए। लोकसभा की विभागों से संबद्ध स्थायी समितियों ने सभा में 65 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए। निदेश 73 के अधीन 45 वक्तव्य, सरकारी कार्य के बारे में संसदीय कार्य मंत्री द्वारा 3 वक्तव्य, नियम 372 के अधीन एक ‘सुओ मोटो स्टेट्मेंट’ तथा उत्तर में शुद्धि करने वाले एक वक्तव्य सहित कुल 50 वक्तव्य दिए गए।

सत्र के दौरान, कुल 1209 पत्रों को सभा पटल पर रखा गया। सत्र के दौरान, गैर-सरकारी सदस्य कार्य के संबंध में शुक्रवार, 4 अगस्त, 2023 को गैर-सरकारी सदस्यों द्वारा विभिन्न विषयों से संबंधित कुल 134 विधेयक पेश किए गए। लोकसभा अध्यक्ष ने सत्र के दौरान सदन के संचालन में सहयोग करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संसदीय कार्य मंत्रियों, विभिन्न दलों के नेताओं और सांसदों के प्रति आभार भी जताया।

संसद को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करते समय कांग्रेस समेत अन्य कई विपक्षी दलों के सांसद सदन में मौजूद नहीं थे क्योंकि अमित शाह द्वारा सदन में तीन विधेयक पेश किए जाते समय ही विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट कर दिया था और वे बाद में भी सदन में वापस नहीं लौटे।