सत्ता प्राप्त करने के लोभ के बिना, त्याग की भावना से एनडीए गठबंधन की सरकार अस्तित्व में आई है।

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सत्ता प्राप्त करने के लोभ के बिना, त्याग की भावना से एनडीए गठबंधन की सरकार अस्तित्व में आई है।

ऐसा सूत्र बताते हैं कि जब चुनाव नतीजों के बाद भाजपा को पूरा मेंडेट नहीं मिला था तो मिल कर यह फैसला लिया गया कि हम सरकार नहीं बनाएंगे और विपक्ष में बैठेंगे। बाकी एनडीए के साथियों को भी इसकी सूचना दे दी गई कि आप सभी स्वतंत्र हैं जहाँ भी जाना चाहें जाएं। सबसे पहले चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ ही विपक्ष में बेठेगी। नितीश कुमार जी की इंडिया गठबंधन के शरद पवार जी से बात भी हुई। कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं हो पा रही थी। सबसे पहले तो प्रधानमंत्री कौन होगा और कांग्रेस का 8500 रुपये महीने के महिलाओं को देने वाले वादे की पूर्ति कैसे होगी। और भी कुछ ईश्यू नहीं सुलझ पाए। इसी बीच पवन कलयाण और चन्द्र बाबू नाएडू ने एनडीए में रहने का फैसला कर लिया और भाजपा के हाईकमान को स्पष्ट किया कि अगर एनडीए की सरकार नहीं बनी तो उनके भी एमपी विपक्ष में बैठेंगे, इंडिया गठबंधन की सरकार में शामिल नहीं होंगे। इससे बहुत जोर लगाने पर भी इंडिया गठबंधन की संख्या 262-265 के बीच रह गयी। पूरी कोशिश के बावजूद संख्या नहीं बन पाई। फिर नितीश कुमार जी और चन्द्र बाबू नाएडू जी की आपस में बात हुई और पूरी तरह तसल्ली होने पर चन्द्र बाबू नाएडू और पवन कल्याण जी ने मोदी जी से बात की और सभी एनडीए घटक दलों के निर्णय के बारे में बताया और तब जाकर एनडीए की सरकार के गठन की घोषणा हुई। फिर खड़गे जी ने प्रैस में कहा कि इन्डिया गठबंधन सरकार नहीं बनाएगा और हम विपक्ष में बैठेंगे। यह जो क्यास लगाए जा रहे हैं कि फलाना नराज या कुछ और ऐसा कुछ नहीं होगा। इसलिए हमें ऐसा लगता है कि सरकार अपना कार्यकाल आसानी से पूरा करेगी। यह सारी खबर अखबारों, सूत्रों और कुछ सुनी सुनाई बातों से मिलाकर सिलसिलेवार रुप से लिखी गई है।