कार्कस प्लांट विरोध मामला: गांववासियों के समर्थन में आये स्वामी कृष्णा नंद, धरना स्थल पर करवाया ‘सत नाम वाहे गुरू’ जाप

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लुधियाना: मृत पशुओं की देह को साइंटिफिक ढंग से ठिकाने लगाने के लिए नगर निगम लुधियाना की ओर से गांव नूरपुर बेट में कार्कस प्लांट का निर्माण करवाया गया है, लेकिन गांव वासियों की ओर से दो वर्ष से इसका संचालन नहीं होने दिया जा रहा है। गत दिनों प्रशासन ने पुलिस बल के सहयोग से प्लांट चालू करवाने का प्रयास भी किया, लेकिन ग्रामीणों का विरोध जारी है। कार्कस प्लांट के विरोध में गांववासियों ने यहां पक्का धरना लगा रखा है। गांववासियों को समर्थन देने के लिए संत समाज भी आगे आया है।

बुधवार को गौ सेवा मिशन के प्रमुख स्वामी कृष्णा नंद जी, मां बगलामुखी धाम पक्खोवाल रोड के महंत प्रवीण चौधरी तथा समाज सेवक बलविंदर सिंह काहलों गांववासियों के समर्थन देने पहुंचे। स्वामी कृष्ण नंद जी की उपस्थिति में संगत ने ‘सत नाम वाहे गुरू’ का जाप किया और सरकार तथा प्रशासन की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना की।

स्वामी कृष्णा नंद जी ने कहा देशभर में गौवंश खतरे में है। साजिश के तहत मृत पशुओं की देह को ठिकाने लगाने के नाम पर कार्कस प्लांट बनाए जा रहे हैं। एक दिन इन्हीं कार्कस प्लांट को बूचड़खानों की शक्ल दे दी जाएगी। इसकी ताजा उदाहरण गांव नूरपुर में बनाया गया कार्कस प्लांट है। प्रशासन की ओर से कार्कस प्लांट बनाने से पहले गांववासियों को तर्क दिया गया था कि यहां मुर्गियों के लिए फीड तैयार की जानी है, लेकिन हकीकत अब सामने आ रही है। कार्कस प्लांट का विरोध कर रहे गांववासियों की आवाज सरकार को सुननी होगी।

स्वामी जी ने कहा भारतीय संस्कृति में गौवंश की मृत देह को जमीन में दबाने की परंपरा रही है, न कि मशीनों में काट-छांट कर खपाने की। स्वामी जी ने केंद्र और राज्यों की सरकारों के प्रति भी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा अकेले पंजाब की बात करे, तो हर महीने करोड़ों रुपये काओ सैस के रूप में इकट्ठे होते हैं, परंतु इस फंड का गौवंश के लिए सहीं तरीके से वहन नहीं हो रहा है। अगर आज सड़कों पर बेहसहारा पशु घूम रहे हैं, तो उसके लिए समाज के साथ-साथ सरकारें भी जिम्मेदार हैं। गौचर के लिए आरक्षित जगहों पर भू-माफिया ने कब्जे कर रखे हैं। अगर आज गौचर के लिए पर्याप्त जमीन उपलब्ध होती, तो पशु सड़कों पर न घूम रहे होते। काओ सैस के रूप से जुटने वाले राजस्व से गौशालाओं का विस्तार और बेहतर प्रबंधन यकीनी बनाने के लिए सरकार प्रयास करें। अगर कार्कस प्लांट या बूचड़खानों का प्रचलन बढ़ेगा, तो एक दिन भारत का हाल भी दुबई के मरुथल जैसा हो जाएगा। अगर दुबई जैसे शहरों में आज हरियाली नहीं है, तो यह कुदरत का क्रोप ही है।

गांववासियों का ऐलान, धोखे में रख बनाया गया प्लांट चलने नहीं देंगे

गांववासी रघुवीर सिंह का कहना है कि गांववासियों को धोखे में रख बनवाया गया कार्कस प्लांट चलने नहीं दिया जाएगा। उनका कहना है सतलुज दरिया पर संचालित हो रही हड्डा रोडी इस गांव से करीब डेढ़ कि.मी. दूर है, लेकिन जब हवा का बहाव गांव की तरफ होता है, तो बदबू की वजह से उनका सांस लेना मुश्किल हो जाता है। यह प्लांट भी नियमों के विपरीत फ्लड एरिया में बना दिया गया है। उनके अनुसार राजस्थान के जोधपुर में कार्कस प्लांट का संचालन हो रहा है। प्लांट से उठने वाली दरुगध से वहां के निवासी काफी परेशान है। गांव नूरपुर में तो इससे भी बुरा हाल हो सकता है, क्योंकि यहां बनाए गए प्लांट की क्षमता जोधपुर की तुलना में छह गुना अधिक है।