जालंधर पश्चिम विधानसभा चुनाव के रोज बदलते राजनीतिक समीकरणों के चलते जो तीन दिन पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान और शीतल अंगुराल आमने सामने आ गए थे। कयी तरह के चैलेंज और ललकारे एक दूसरे को कर रहे थे। एक सुनी सुनाई बात आ रही है कि आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री और शीतल अब एक दूसरे पर कीचड़ फेंकने से बचेंगे। अपुष्ट जानकारी के अनुसार एक बड़े पुलिस अधिकारी ने बीच बचाव का फैसला करवा दिया है। अब शायद वो रिकार्ड्स भी सार्वजनिक नहीं होंगे, जिनका दम इतने दिनों से भरा जा रहा था। मुख्यमंत्री अपने परिवार पर भ्रष्टाचार के इल्ज़ाम लगने से बहुत आहत हुए हैं। एक एम एल ए का फोन पर बार बार उनके परिवार का नाम लेना उन्हें तकलीफ दे रहा था। परसों से ही वो थोड़ा नार्मल दिखाई दे रहे हैं। हमने पहले भी कहा है कि आम आदमी पार्टी में भगंवत मान को लेकर सब ठीक नहीं है। ऊपर से परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगना पार्टी में उनकी छवि को बहुत नुकसान कर गया। ईलैक्शन जीत या हार अब इतनी मायने नहीं रखती, लेकिन उनको इन सब बातों का भविष्य में जवाब देना पड़ेगा। किसी भी पार्टी की कार्यशैली या नीतियों पर सवाल उठाना इलैक्शन में आम बात होती है पर मुख्यमंत्री जैसे पद पर व्यक्तिगत लांछन बहुत परेशान करता है। ऐसे आरोप हमेशा किसी भी राजनेता के शाब्दिक रूप से चारित्रिक हनन का कारण ही बनते है। शीतल अंगुराल तो शायद यह बात अब दबा भी लें, परन्तु आने वाले समय में भगवंत मान को यह बातें चैन नहीं लेने देगी।
हर तरह के विषयों पर अपने विचार रखने या आरोप लगाने का हक हमें हमारा संविधान देता है। लेकिन हर व्यक्ति के अपने किसी भी वक्तव्य का उद्देश्य लोकहित होना चाहिए। किसी भी उच्च पद पर आसीन व्यक्ति पर टिप्पणी करना बहुत आसान होता है पर बाद में टायं टायं फिस्स होना, क्या यह सही है?