पंजाब से राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को 1200 डॉलर से 950 डॉलर तक संशोधित करने के लिए वाणिज्य मंत्रालय और एपीडा के फैसले की सराहना की। यह मुद्दा पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन द्वारा पिछले महीने अमृतसर में दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्रीयों की औद्योगिक बातचीत में उठाया गया था, जहां सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी को इस मामले को केंद्र सरकार के साथ उठाने का काम सौंपा गया था।
साहनी ने कहा कि उसी दिन उन्होंने वाणिज्य मंत्रालय को संदेशित कर दिया था कि यह तर्कसंगत निर्णय नहीं है और इसका बासमती किसानों और व्यापारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। बासमती चावल की लगभग 40 किस्में 850 डॉलर से 1600 डॉलर प्रति मीट्रिक टन तक हैं। बासमती चावल की निचली किस्मों का निर्यात बाजार में 70% योगदान है। केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया 1200 डॉलर का न्यूनतम निर्यात मूल्य से किसानों और व्यापारियों की आय पूरी तरह से खत्म हो जानी थी क्योंकि न्यूनतम निर्यात मूल्य के इस फैसले के कारण कीमतें गिरने की संभावनाएं प्रबल थी ।
साहनी ने यह भी कहा कि यह सिर्फ एक फसल का मामला नहीं था बल्कि इसका भारत पर बड़ा आर्थिक प्रभाव पड़ता। बासमती निर्यात के अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाकिस्तान हमारा प्रतिस्पर्धी है। भारत के 1200 डॉलर एमईपी के फैसले के बाद, पाकिस्तान ने रणनीतिक रूप से अपने एमईपी को 1050 डॉलर तक सीमित कर दिया, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में खरीददारों द्वारा सारा चावल केवल पाकिस्तान से आयात किया जाता ।
साहनी ने कहा कि वह वाणिज्य मंत्रालय के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहेंगे जिन्होंने बासमती व्यापारियों के अनुरोध पर विचार किया और उनके द्वारा मुद्दा उठाए जाने के दो सप्ताह के भीतर एमईपी को संशोधित कर 950 डॉलर कर दिया। पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अरविंदर सिंह लाल किला ने यह जरूरी कदम उठाने के लिए वाणिज्य मंत्रालय को धन्यवाद देते हुए कहा कि एमईपी का फैसला आने के बाद बासमती चावल के सभी व्यापारियों के बीच पूरी तरह से दहशत की स्थिति थी, लेकिन अब इस संशोधित फैसले से हमें बासमती चावल के निर्यात को बढ़ाने में काफी राहत मिली है।