मुफलिसी में प्रतिभा: 12 बार खेला नेशनल, पांच पदक जीते, अब मजदूरी करने को मजबूर पंजाब का ये पहलवान

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राम कुमार ने कहा कि घर की नाजुक हालत के कारण दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार मदद करे तो वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पंजाब और भारत का नाम रोशन कर सकता है। हौंसला डिगा नहीं है, उसकी कोशिश जारी रहेगी लेकिन अगर उसे सहयोग मिले तो आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।

राम कुमार ने कहा कि घर की नाजुक हालत के कारण दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार मदद करे तो वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पंजाब और भारत का नाम रोशन कर सकता है। हौंसला डिगा नहीं है, उसकी कोशिश जारी रहेगी लेकिन अगर उसे सहयोग मिले तो आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।

राष्ट्रीय स्तर पर पांच पदक जीतने वाले फरीदकोट के गांव रत्ती रोड़ी के 20 वर्षीय पहलवान राम कुमार बदहाली से जूझ रहे हैं। हालत यह है कि उन्हें पर्याप्त खाना भी नहीं मिल पा रहा है। मजदूरी कर वह परिवार का पेट पाल रहे हैं। राम कुमार ने प्रशासन व सरकार से सहायता की गुहार लगाई है ताकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल कर देश का नाम रोशन कर सके।

प्राइमरी स्कूल से तय किया नेशनल का सफर
राम कुमार साल चौथी कक्षा से कुश्ती की ओर आकर्षित हुआ। अपने अध्यापकों के सहयोग से कुश्ती खेलना शुरू किया। इसी दौरान जिला स्तर पर हुई प्राइमरी स्कूलों की खेल प्रतियोगिता में भाग लिया। धीरे-धीरे वह जिला स्तर फिर राज्य स्तर पर और बाद में नेशनल स्तर पर खेलने लगा। इस दौरान राम कुमार ने बाबा शेख फरीद कुश्ती अखाड़ा (फरीदकोट) में अभ्यास करने लगा। कोच इंद्रजीत सिंह व हरगोबिंद सिंह ने राम कुमार को कुश्ती के गुर सिखाए।

एक रजत और चार कांस्य पदक जीते
राम कुमार 2017, 2018, 2019, 2020, 2021 व 2022 में 12 बार नेशनल स्तर पर कुश्ती खेल चुका है और 2022 में सीनियर नेशनल में भी भाग ले चुका है। राम कुमार ने नेशनल स्तर पर एक रजत और चार कांस्य पदक जीते हैं। वह चार साल तक पंजाब में 55 किलोग्राम भारवर्ग में कुश्ती चैंपियन रह चुका है। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र, ओडिशा, असम, दिल्ली, बिहार, हरियाणा समेत भारत के कई राज्यों में खेल चुका है।

राम कुमार चार बहनों का अकेला भाई है। इन दिनों आर्थिक बदहाली का सामना करना पड़ रहा है। माता-पिता गांव में सब्जी बेचकर अपने घर का खर्च चलाते हैं। बहनों की शादी तो माता-पिता ने जैसे-तैसे कर दी है। माता-पिता से जितनी हो सकी उसे खुराक देते हैं लेकिन अब उसे इस खेल के लिए पर्याप्त खुराक की आवश्यकता है। यही वज है कि वह मजदूरी करने को मजबूर है। हालांकि राम कुमार की प्रैक्टिस जारी है लेकिन बनती खुराक न मिल पाने के कारण उसे अब आगे बढ़ना मुश्किल लगने लगा है। फिलहाल राम कुमार ने इसी वर्ष बृजेन्द्रा कॉलेज में बीए में दाखिला लिया है और साथ ही वह बेसिक कंप्यूटर का कोर्स भी कर रहा है।

राम कुमार ने कहा कि घर की नाजुक हालत के कारण दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार मदद करे तो वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पंजाब और भारत का नाम रोशन कर सकता है। हौंसला डिगा नहीं है, उसकी कोशिश जारी रहेगी लेकिन अगर उसे सहयोग मिले तो आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।

राम कुमार के पिता राम चंद ने कहा कि उनका बच्चा बहुत मेहनती है और उसने बचपन से ही कड़ी मेहनत करना शुरू कर दिया था। उन्हें इस बात का गर्व है की उनका बच्चा अब भी लगातार व्यायाम करने का आदी है लेकिन मजबूरीवश उसे दिहाड़ी करनी पड़ती है। इसके चलते उसकी पढ़ाई भी बाधित होगी। इसलिए अगर सरकार सहायता करे तो वे खेलों के साथ-साथ पढ़ाई-लिखाई में भी उनका नाम रोशन करेगा।