जालंधर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरूआत की थी जिसके तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को पक्का घर बनाने हेतु सरकार की ओर से ग्रांट उपलब्ध करवाई जानी थी। इसके लिए जालंधर शहर में कई सर्वे हुए और सैकड़ो लाभपात्रियों की पहचान करके उन्हें तीन-चार चरणों में ग्रांट वितरित की गई। अब जाकर सामने आ रहा है कि इस ग्रांट को बांटने के दौरान जालंधर निगम के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने घोटाला किया जिसकी शिकायत चंडीगढ़ तक की गई और अब इस सारे कांड की विजिलेंस जांच शुरू हो चुकी है।
पता चला है कि पिछले दिनों विजिलेंस के अधिकारियों ने जालंधर निगम जाकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दिए गए पैसों का रिकॉर्ड तलब किया था। नगर निगम के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि विजिलेंस अधिकारियों को आवास योजना से संबंधित रिकार्ड की कॉपी दे दी गई है। आने वाले दिनों में यह मामला गर्माने के आसार हैं ।
सरकार ने रखा था फूलप्रूफ सिस्टम, फिर भी हुई गड़बड़ी
सरकार ने जब प्रधानमंत्री आवास योजना लॉन्च की थी तब इसके लिए फूलप्रूफ सिस्टम और कड़े नियम बनाए गए थे। तब नींव की खुदाई से लेकर लैंटर डालने और बाकी तैयारी करने बाबत चित्र फाइल में लगाना अनिवार्य किया गया था और इसके लिए सर्वे दौरान भी कड़े नियम बनाए गए थे।
पता चला है कि जालंधर निगम के कुछ कर्मचारियों ने यह ग्रांट कई ऐसे लोगों को बांट दी जो इसके पात्र नहीं थे और जिन लोगों को यह ग्रांट मिलनी चाहिए थी उनकी फाइलें कई-कई साल निगम कार्यालय में लटकी रहीं। पिछले समय दौरान ऐसे कुछ मामले सामने भी आए थे जहां ग्रांट का वितरण गलत परिवारों को हुआ था परंतु उस मामले में कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई। अब देखना है कि इस मामले में किन निगम अधिकारियों और कर्मचारियों का नाम आता है और कितने केस सामने आते हैं?