फरीदकोट :- लोकसभा चुनाव 2024 सिर पर हैं और एक बार फिर पंजाब में सियासत की बिसात मालवा में बिछेगी। फिरोजपुर, फरीदकोट, संगरूर और मुक्तसर राजनीति का केंद्र बिंदु होंगे। प्रदेश के चारों बड़े दलों का फोकस फरीदकोट और फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र रहेंगे, क्योंकि राज्य की चारों प्रमुख सियासी पार्टियों के प्रधान भाजपा के सुनील जाखड़, कांग्रेस के राजा अमरिंदर सिंह वड़िंग, शिअद के सुखबीर सिंह बादल और आप के बुधराम मालवा एरिया से ही हैं। भाजपा ने मालवा से जाखड़ को प्रदेश प्रधान बनाकर बड़ा दांव खेला है।शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल और भाजपा प्रधान सुनील जाखड़ के पिता बड़े राजनीतिज्ञ रहे हैं, जबकि कांग्रेस प्रधान राजा वडिंग के पिता का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है। सुखबीर सिंह बादल और सुनील जाखड़ काे सियासत विरासत में मिली है। सुखबीर सिंह बादल के पिता प्रकाश सिंह बादल शिअद प्रमुख होने के साथ-साथ पंजाब के 5 बार मुख्यमंत्री रहे। सुनील जाखड़ के पिता बलराम जाखड़ लोकसभा अध्यक्ष रहने के साथ कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता रहे। वहीं आप के कार्यकारी प्रधान बुधराम का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है।संयोग की बात है कि वर्तमान समय में तीनों पार्टियों भाजपा-कांग्रेस और शियद के प्रधान प्रदेश की सियासत में विपक्ष की भूमिका में हैं। ऐसे में तीनों के सामने अपनी-अपनी पार्टियों को मजबूत करने की कठिन चुनौती है। पंजाब की सत्ता की चाबी भी हमेशा मालवा से ही होकर निकलती है, राज्य की 117 विधानसभा सीटों में से 69 सीटें यानी 58 फीसदी यहीं से आती हैं। 1966 में पंजाब राज्य के पुर्नगठन यानी हरियाणा के अलग होने के बाद से लेकर 2022 तक राज्य में कुल 18 मुख्यमंत्री बने, जिसमें से 16 बार मुख्यमंत्री मालवा से ही बने है।1966 में मांझा से ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसफिर, 1980 में दोआबा से दरबारा सिंह मुख्यमंत्री बने। ऐसे में मलावा बेहद जरूरी हो जाता है। शायद इसी को साधने के लिए भाजपा ने सुनील जाखड़ को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी है। ऐसे में अब पंजाब की सियासत का निश्चित रूप से केन्द्र बिंदु मालवा ही होगा। आगामी कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव की हलचल बढ़ेगी तो लोकसभा क्षेत्र फिरोजपुर और फरीदकोट के होने को देखते हुए राजनीतिक दलों की यहां गतिविधियां बढ़ेंगी। चारों राजनीतिक दलों का 2024 में फोकस भी यहीं दोनों जिले रहेंगे।मालवा से 2 बार कैप्टन अमरिंदर सिंह, 5 बार प्रकाश सिंह बादल, बीबी राजिंदर कौर भट्ठल, हरचरण सिंह बराड़, गुरकरण सिंह, लक्ष्मण सिंह गिल, गुरनाम सिंह, ज्ञानी जैल सिंह, सुरजीत सिंह, बेअंत सिंह, चरणजीत सिंह चन्नी, भगवंत मान मालवा से चुनाव लड़ते आए हैं और मुख्यमंत्री बने।