वॉशिंगटन: खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर भारत और कनाडा में तनाव चरम पर है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने वोटबैंक के लालच में निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया है। इसके बाद दोनों देश एक दूसरे के राजनयिकों को बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं। भारत ने तो कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इस बीच निज्जर के वकील और कुख्यात खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक बार फिर भारत और हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला है। उसने कनाडा में रह रहे हिंदुओं को खदेड़ने तक की धमकी दे दी है। पन्नू वही आतंकवादी है, जो भारतीय राजनयिकों की हत्या के लिए खालिस्तानियों को उकसाता है और विदेशों में भारत को तोड़ने की बात करता है। भारत ने पन्नू के खिलाफ कई सबूत भी अमेरिका और कनाडा को सौंपे हैं, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ है।
तो अमेरिका का मोहरा है पन्नू?
ऐसे में सवाल उठता है कि गुरपतवंत सिंह पन्नू को कनाडा और अमेरिका में इतनी सुरक्षा कैसे मिली हुई है। कई सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, पन्नू अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का एक मोहरा है। उसके पास कनाडा और अमेरिका की दोहरी नागरिकता भी है। अमेरिका और कनाडा ने उसे भारत के खिलाफ इस्तेमाल के लिए तैयार किया हुआ है। अब अमेरिका से पहले ट्रूडो ने अपने चुनावी हितों को साधने के लिए पन्नू और उसके तथाकथित खालिस्तानी आंदोलन का इस्तेमाल कर लिया है। ट्रूडो ने अमेरिकी खुफिया और प्रचार माध्यमों की मदद से भारत को बदनाम करने के लिए खालिस्तान को हथियार बनाया गया है। अमेरिका और कनाडा तब तक किसी को आतंकवादी नहीं मानते, जब तक उनके देश में कोई हमला नहीं होता है। कश्मीर में सीमा पार आतंकवाद इसका सीधा उदाहरण है। जब तक 9/11 की घटना नहीं हुई, तब तक अमेरिका अच्छे और बुरे आतंकवाद का अंदर समझाता रहा। इसके बाद ही वह पाकिस्तान के खिलाफ सख्त हुआ और कार्रवाई की।
कनाडा के लिए भारत को आंख दिखा रहा अमेरिका
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने कहा कि अमेरिका, भारत को कोई विशेष छूट नहीं देगा। उनका कहना है कि इस मामले में अमेरिका, उच्च स्तर पर भारतीय अधिकारियों के संपर्क में हैं। जैक सुलिवन ने कहा कि अमेरिका अपने सिद्धांतों के लिए खड़ा रहेगा, फिर चाहे कोई भी देश प्रभावित क्यों न हो। व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए चिंता का विषय है। यह एक ऐसी चीज है, जिसे हमें गंभीरता से लेते हैं। यह एक ऐसा मामला है जिस पर हम काम करना जारी रखेंगे और किसी देश की परवाह किए बिना हम ऐसा करेंगे। इस तरह के काम के लिए आपको कोई विशेष छूट नहीं मिलती है. देश की परवाह किए बिना हम खड़े होंगे और अपने बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा करेंगे. हम कनाडा जैसे सहयोगियों के साथ भी नजदीक से काम करेंगे, क्योंकि इस मामले में जांच और राजनयिक प्रक्रिया को कनाडा आगे बढ़ा रहा है।
अमेरिका खुद के गिरबान में क्यों नहीं झांक रहा
अमेरिका एक ऐसा देश है, जो दुनिया को कायदे कानून, संप्रभुता , धार्मिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर ज्ञान देता है, लेकिन खुद उसका पालन नहीं करता। अमेरिका में राष्ट्रपति से लेकर उपराष्ट्रपति और दूसरे शीर्ष अधिकारी ईसाई धर्म की पवित्र पुस्तक बाइबिल की शपथ लेते हैं। जबकि, अमेरिका के पास दुनिया का सबसे पुराना संविधान भी है। अमेरिका का लोकतंत्र तो इतना मजबूत है कि उसके पूर्व राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रंप) चुनाव में हार के बाद उसे स्वीकार करने से मना कर देते हैं और समर्थकों को संसद भवन यानी यूएस कैपिटल पर हमले के लिए उकसाते हैं। संप्रभुता का पालन करने के मामले में अमेरिका का तो कोई मुकाबला ही नहीं है। वह सिर्फ शक के आधार पर दुनिया के किसी भी देश के नागरिकों को मार देता है कि वह अमेरिका के लिए खतरा बन सकता है। ऐसा देश अब दूसरों को ज्ञान दे रहा है।
अमेरिका ने पूरी दुनिया में की लोगों की हत्याएं
अमेरिका से सवाल पूछना चाहिए कि उसने किस आधार पर तालिबान के दूसरे प्रमुख और पाकिस्तानी नागरिक मुल्ला अख्तर मंसूर की ड्रोन हमले में हत्या की। बगदाद में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या किस आधार पर की। वह किस आधार पर अफ्रीका के साहिल में आम लोगों पर बमबारी कर रहा है. इसके अलावा अमेरिका ने पूरी दुनिया में इतने अनगिनत हत्याएं कराई हैं, जिसका कोई पुख्ता सबूत तक नहीं मिला है। अमेरिका ने ही अपने कई दुश्मनों को जहर देकर तो किसी के विमान को दुर्घटनाग्रस्त कराकर मारा है। दावा तो यहां तक किया जाता है कि भारत में परमाणु ऊर्जा के जनक होमी जाहंगीर भाभा की भी हत्या अमेरिका ने ही कराई थी।
कौन है गुरपतवंत सिंह पन्नू
गुरपतवंत सिंह पन्नू भारत में मोस्ट वॉन्टेंड आतंकवादी है। भारत सरकार ने 1 जुलाई 2020 को UAPA कानून के तहत पन्नू को आतंकवादी घोषित कर रखा है। जुलाई 2020 में पंजाब पुलिस ने अमृतसर और कपूरथला में पन्नू के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था। पन्नू अक्सर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खालिस्तान को लेकर भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता है। गुरपतवंत सिंह पन्नू अमृतसर के खानकोट गांव में पैदा हुआ था। वह बाद में कमाई करने विदेश चला गया और आईएसआई के सहयोग से पंजाब में खालिस्तानी मुहिम को फिर से जिंदा करने की कोशिश में है। उसने विदेशों में रहने वाले सिखों को बरगलाकर खालिस्तान के पक्ष में भड़काया। इतना ही नहीं, पाकिस्तानी आईएसआई से मिले पैसों से भारत में हिंसा फैलाने की साजिश भी रची।