केजरीवाल फिलहाल जेल में ही रहेंगे, जमानत देने के निचली कोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट की अंतरिम रोक

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में कथित आबकारी घोटाले के कारण विवादों में घिरे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फिलहाल जेल में ही रहना पड़ेगा, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने कथित घोटाले से जुड़े एक धनशोधन मामले में निचली कोर्ट द्वारा उन्हें जमानत दिए जाने के आदेश पर शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल शुक्रवार को तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते थे, यदि हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अंतरिम राहत नहीं दी होती। केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था।

जस्टिस सुधीर कुमार जैन की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, ‘इस आदेश को सुनाए जाने तक, निचली कोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी।’ कोर्ट ने कहा कि वह आदेश 2-3 दिनों के लिए सुरक्षित रख रही है, क्योंकि वह संपूर्ण रिकार्ड देखना चाहती है। कोर्ट ने केजरीवाल को नोटिस जारी करके ईडी की उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें मुख्यमंत्री को जमानत पर रिहा किए जाने को लेकर निचली कोर्ट के 20 जून के आदेश को चुनौती दी गई है। इसने मामले की सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख निर्धारित की है। ईडी के वकील ने निचली कोर्ट द्वारा वीरवार देर शाम पारित जमानत आदेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया।

ईडी का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने दलील दी कि निचली कोर्ट का आदेश ‘विकृत’, ‘एकतरफा’ और ‘गलत’ था तथा निष्कर्ष अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित थे। उन्होंने दावा किया कि विशेष न्यायाधीश ने प्रासंगिक तथ्यों पर विचार नहीं किया। उन्होंने दलील दी, ‘निचली कोर्ट ने महत्वपूर्ण तथ्यों पर विचार नहीं किया। जमानत रद्द करने के लिए इससे बेहतर मामला नहीं हो सकता। इससे बड़ी विकृति नहीं हो सकती।’ निचली कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए उन्होंने दलील दी कि ईडी को अपना मामला रखने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया।

केजरीवाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और विक्रम चौधरी ने आदेश पर रोक संबंधी अर्जी का जोरदार विरोध किया। सिंघवी ने कहा कि ईडी ने निचली कोर्ट के समक्ष 3 घंटे 45 मिनट तक बहस की। उन्होंने कहा, ‘इस मामले में (निचली कोर्ट के समक्ष) 5 घंटे तक सुनवाई चली। राजू ने करीब 3 घंटे 45 मिनट का समय लिया और फिर निचली कोर्ट की न्यायाधीश (न्याय बिंदु) को दोषी ठहराया गया क्योंकि उन्होंने हर कॉमा और फुल स्टॉप को नहीं दोहराया।’

राजू ने कहा कि आदेश पारित होने के बाद बहस के दौरान, जब ईडी के वकीलों ने निचली कोर्ट से आग्रह किया कि वे अपने आदेश को 48 घंटे तक स्थगित रखें, ताकि वे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकें, लेकिन इस अनुरोध पर विचार नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ‘मुङो पूरी तरह से बहस करने की अनुमति नहीं दी गई। मुङो लिखित दलीलें पेश करने के लिए 2-3 दिनों का उचित समय नहीं दिया गया। गुण-दोष के आधार पर मेरे पास एक उत्कृष्ट मामला है। निचली कोर्ट ने मुङो अपनी बातें आधे घंटे में खत्म करने को कहा, क्योंकि वह फैसला सुनाना चाहती थी। इसने हमें मामले पर बहस करने का पूरा मौका नहीं दिया।’

उन्होंने दलील दी, यदि अप्रासंगिक तथ्यों पर विचार किया जाता है, तो यह अपने आप में जमानत रद्द करने का एक कारण है। इस बात के सबूत हैं कि केजरीवाल ने 100 करोड़ रुपए मांगे थे, लेकिन निचली अदालत ने इस पर विचार नहीं किया।’ सिंघवी ने कोर्ट से केजरीवाल के जमानत आदेश पर रोक न लगाने का आग्रह किया और कहा कि अगर उसे व्यापक और ठोस परिस्थितियां दिखती हैं तो वह बाद में उन्हें (केजरीवाल को) फिर से जेल भेज सकती है।

उन्होंने कथित तौर पर पर्याप्त समय न देने को लेकर जांच एजैंसी द्वारा न्यायाधीश को बदनाम करने के ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ प्रयास पर भी सवाल उठाया। चौधरी ने दलील दी कि अंतरिम जमानत अवधि समाप्त होने पर केजरीवाल ने जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, जो उनके अच्छे आचरण को दर्शाता है। उन्होंने कहा, अगर वह अदालत द्वारा लगाई गई शर्तो के साथ बाहर हैं, तो इसमें पूर्वाग्रह क्या है। वह (केजरीवाल) कोई आतंकवादी नहीं हैं कि अगर उन्हें रिहा किया गया तो वह समाज को नुक्सान पहुंचाएंगे। अगर राज्य के मुख्यमंत्री जमानत पर बाहर आ गए तो कौन-सी मुसीबत आ जाएगी?