Jalandhar : कांग्रेस न कैंपेन खड़ी कर पाई, न नेताओं को संभाल सकी; प्रचार अधियान में भी नहीं आई थी नजर

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Jalandhar मतगणना शुरू होने से पहले तक यह अनुमान था कि कांग्रेस अपने गढ़ को बचा सकती है लेकिन पहले ही राउंड से कांग्रेस जो पिछड़ना शुरू हुई तो वापसी नहीं कर पाई। विधायक कोटली मतगणना केंद्र के बाहर धरने पर बैठ गए थे।

संसदीय उपचुनाव में सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ा है। मतगणना शुरू होने से पहले तक यह अनुमान था कि कांग्रेस अपने गढ़ को बचा सकती है लेकिन पहले ही राउंड से कांग्रेस जो पिछड़ना शुरू हुई तो वापसी नहीं कर पाई। कांग्रेस यह दावा करती रही कि वह लो प्रोफाइल कैंपेन चला रही है ताकि जमीन पर ही रहकर लोगों से जुड़ा जा सके।

हालांकि पूरे चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस कहीं भी कैंपेन खड़ी करती नजर नहीं आई कांग्रेस के सीनियर नेता प्रताप सिंह बाजवा, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू जैसे नेता एक साथ चलते तो नजर आए लेकिन इनमें केमिस्ट्री नहीं बन पाई। आम आदमी पार्टी ने सबसे अधिक डैमेज कांग्रेस को किया उन्हीं के पूर्व विधायक को चुनाव में उनके सामने खड़ा कर दिया।

यही नहीं, कांग्रेस उम्मीदवार के भतीजे को ही तोड़ दिया और बेशक चौधरी सुरेंद्र सिंह ने वापसी कर ली लेकिन पूरे प्रचार अभियान के दौरान वे कहीं भी नजर नहीं आए। इसके अलावा कांग्रेस के बीस के करीब पार्षदों को आम आदमी पार्टी ने तोड़ा। कांग्रेस को तोड़ने में भाजपा भी पीछे नहीं रही और कई नेताओं को साथ में मिलाया। कांग्रेस के सभी सीनियर नेता जालंधर में डटे रहे लेकिन पार्टी में हो रही टूट को रोकने के लिए किसी ने भी कोशिश नहीं की।

बड़े नेताओं ने पर्दे के सामने तो एकजुट होकर चलने का पूरा दिखावा किया लेकिन सब में यही होड़ थी कि अगर जीत हासिल होती है तो उसका क्रेडिट कैसे लेना है और अगर हार मिल जाती है तो वह किसके सिर पर थोपनी है। इस वजह से ही कांग्रेसी चाह कर भी पूरा जोर नहीं लगा पाए।

कांग्रेस के चुनाव प्रचार के दौरान सबसे बड़ा सवाल यह भी था कि कैंपेन पर खर्च कौन करेगा। कैंपेन कमेटी का चेयरमैन सीनियर नेता राणा गुरजीत सिंह को बनाया गया था जो इस काम के माहिर हैं लेकिन वह भी कांग्रेस की कैंपेन खड़ी नहीं कर पाए।

मतगणना शुरू होने के लगभग डेढ़ घंटे के बाद आदमपुर से कांग्रेस विधायक सुखविंदर कोटली मतगणना केंद्र के अंदर पहुंचे तो उन्हें बाहर निकाल दिया। इस पर वे गेट पर ही धरने पर बैठ गए। उनका कहना था कि वे विधायक के तौर पर नहीं बल्कि पोलिंग एजेंट के रूप में अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे। वहीं, असिस्टेंट कमिश्नर गुरसिमरनजीत कौर ने स्पष्ट किया कि विधायक कोटली को नियमों के मुताबिक भीतर नहीं भेजा जा सकता।

करमजीत कांग्रेस प्रत्याशी करमजीत कौर चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार और सरकारी अमला आप को जिताने में लगा हुआ था। बाहरी विधायकों को हलके में बिठा कर रखा और उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि मतदाताओं ने उन्हें अथाह समर्थन दिया गया और दिल खोलकर मतदान किया।