‘EVM किसी OTP से अनलॉक नहीं होती, न किसी डिवाइस से कनेक्ट’, हैकिंग के आरोपों को EC ने किया खारिज

45
0

नेशनल डेस्कः इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) एक स्वतंत्र प्रणाली है, जिसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ से बचाव के लिए “मजबूत प्रशासनिक सुरक्षा उपाय” हैं और इसे ‘अनलॉक’ करने के लिए किसी ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) की कोई जरूरत नहीं है। यह बात एक चुनाव अधिकारी ने रविवार को कही। मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र की निर्वाचन अधिकारी वंदना सूर्यवंशी, मिड-डे समाचार पत्र में प्रकाशित एक खबर पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिसमें कहा गया है कि शिवसेना उम्मीदवार रवीन्द्र वायकर के एक रिश्तेदार ने 4 जून को मतगणना के दौरान एक मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था, जो ईवीएम से जुड़ा था। वायकर मात्र 48 वोट से चुनाव जीते थे।

सूर्यवंशी ने रविवार को कहा, “ईवीएम एक स्वतंत्र प्रणाली है और इसे ‘अनलॉक’ करने के लिए किसी ओटीपी की कोई जरूरत नहीं होती है। इसे प्रोग्राम नहीं किया जा सकता है तथा इसमें कोई वायरलेस संचार क्षमता नहीं होती। यह एक समाचार पत्र द्वारा फैलाया जा रहा झूठ है। हमने मिड-डे अखबार को भारतीय दंड संहिता की धारा 499, 505 के तहत मानहानि और झूठी खबर फैलाने के लिए एक नोटिस जारी किया है।”

वनराई पुलिस के अनुसार, वायकर के रिश्तेदार मंगेश पांडिलकर पर 4 जून को आम चुनाव के परिणाम घोषित होने के दिन गोरेगांव स्थित एक मतगणना केंद्र पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (आधिकारिक आदेश की अवहेलना) के तहत एक मामला दर्ज किया गया।

सूर्यवंशी ने कहा कि जोगेश्वरी विधानसभा क्षेत्र के डेटा एंट्री ऑपरेटर दिनेश गुरव का निजी मोबाइल फोन एक अनधिकृत व्यक्ति के पास पाया गया और इस संबंध में कार्रवाई की जा रही है। सूर्यवंशी ने कहा, “डेटा प्रविष्टि और मतगणना दो अलग-अलग पहलू हैं। एक ओटीपी एआरओ को डेटा प्रविष्टि के लिए इनकोर लॉगिन सिस्टम खोलने में सक्षम बनाता है। मतगणना प्रक्रिया स्वतंत्र है और इसका मोबाइल फोन के अनधिकृत उपयोग से कोई लेना-देना नहीं है, जो एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और इसकी जांच की जा रही है।” उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी तरह की छेड़छाड़ की संभावना को खत्म करने के लिए उन्नत तकनीकी विशेषताएं और मजबूत प्रशासनिक सुरक्षा उपाय किए गए हैं। सुरक्षा उपायों में उम्मीदवारों या उनके एजेंट की मौजूदगी में सब कुछ करना शामिल है।”

अधिकारी ने कहा कि न तो वायकर और न ही शिवसेना (यूबीटी) के हारे हुए उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर ने पुनर्मतगणना की मांग की थी, लेकिन अवैध डाक मतपत्रों के सत्यापन की मांग की गई थी और ऐसा किया गया। सूर्यवंशी ने कहा कि इस मामले से संबंधित सीसीटीवी फुटेज तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सक्षम अदालत से आदेश न मिल जाए।