Covid in Punjab: वेंटिलेटर हुए बंद, कैसे लड़ेंगे कोरोना से जंग

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Covid in Punjab गुरुनानक देव अस्पताल में भेजे गए वेंटिलेटर्स दम तोड़ गए। सरकार ने कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए आत्मनिर्भरता का नारा देते हुए दिसंबर 2020 में इस अस्पताल में पीएम केयर फंड से 137 वेंटिलेटर्स भेजे थे।

गुरुनानक देव अस्पताल में भेजे गए वेंटिलेटर्स दम तोड़ गए। सरकार ने कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए आत्मनिर्भरता का नारा देते हुए दिसंबर 2020 में इस अस्पताल में पीएम केयर फंड से 137 वेंटिलेटर्स भेजे थे। इन वेंटिलेटर्स को अस्पताल के 12 आइसोलेशन वार्डों में रखा गया था। यह जानकर हैरानी होगी कि इन 137 वेंटिलेटर्स में से 97 तो आन ही नहीं हुए। तब इंजीनियर्स बुलाकर इन्हें ठीक करवाया गया था। इसके बाद इन वेंटीलेटर्स से मरीजों की सांसें सहेजने का क्रम शुरू हुआ।

2022 में जब कोरोना का कोहराम कम हुआ तो इन वेंटीलेटर की अनिवार्यता नहीं रही। उचित रखरखाव न होने के परिणामस्वरूप यह धीरे धीरे खराब हो गए। वर्तमान में 137 वेंटीलेटर्स में से सौ से अधिक खराब हैं। इन खराब वेंटीलेटर्स को आईसीसीयू व स्टोर में रखा गया है। दूसरी तरफ अमृतसर में संक्रमण दर बढ़ रही है। प्रतिदिन पंद्रह से बीस केस रिपोर्ट हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में यदि महामारी के बढ़ते क्रम में लेवल थ्री के मरीजों की संख्या में वृद्धि होती है तो इनके लिए वेंटिलेटर कहां से आएंगे? यह वैसे ही होगा जैसे आक्सीजन की कमी के चलते मरीजों की मौत होने लगी थी। तब आनन-फानन में ऑक्सीजन प्लांट इंस्टॉल करवाए गए थे।

चार लाख कीमत, बढ़िया क्वालिटी का वेंटिलेटर पंद्रह लाख का पीएम केयर फंड से खरीदे गए ये वेंटीलेटर्स तकरीबन चार लाख रुपये की कीमत के हैं। असल में बढ़िया क्वालिटी का वेंटिलेटर पंद्रह लाख रुपये में आता है। अस्पताल में लेवल थ्री के मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत रहती है। वर्तमान में सिर्फ 40 वेंटिलेटर ही काम कर रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या के अनुपात में ये वेंटिलेटर कम हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने वेंटिलेटर तैयार करने वाली कंपनी को ईमेल भेजकर वेंटिलेटर ठीक करने को कहा था, पर अभी तक टीम आई नहीं।

वेंटिलेटर्स एक ऐसा चिकित्सा उपकरण है जिसके जरिए मृत्यु शैया पर पड़े मरीज की सांसें सहेजी जाती हैं। ऐसे मरीज जिनका आक्सीजन स्तर 60 से नीचे चला जा उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाता है। असल में कोरोना संक्रमित मरीज पर जब आक्सीजन भी काम नहीं करती तब उसे वेंटिलेटर स्पोर्ट पर रखा जाता है। इसे लाइफ स्पोर्ट कहते हैं। गुरुनानक देव अस्पताल में आक्सीजन की कमी तो है ही, अब वेंटिलेटर्स खराब होने की वजह से मरीजों की जान जोखिम में पड़ सकती है।

जीएनडीएच के चिकित्सा अधीक्षक डा. कर्मजीत सिंह का कहना है कि यह वेंटीलेटर्स हल्की क्वालिटी के थे। इनमें से कुछ डेल कंपनी के हैं, जबकि कुछ हिंदुस्तान एरोनाटिक्स के। कोरोना काल में काम आए थे। अब इनके सेंसर खराब हो चुके हैं। असल में सेंसर लंबे समय तक तक काम नहीं करते। ये जल्दी गर्म हो जाते हैं। इन वेंटीलेटर की खरीद की आडिट भी हुई थी। टीम रिपोर्ट तैयार कर ले गई थी, पर हमें जानकारी नहीं दी गई। वैसे पंजाब सरकार की ओर से भी कुछ वेंटिलेटर भेजे गए थे। वे चल रहे हैं।