जालंधर : नगर निगम जालंधर का पार्षद हाऊस 24 जनवरी को खत्म हो गया था और नियमानुसार 6 माह के भीतर नए पार्षद हाऊस हेतु चुनाव संपन्न हो जाने चाहिए परंतु सत्तापक्ष आम आदमी पार्टी द्वारा जालंधर नगर निगम के चुनाव करवाने में विभिन्न कारणों की वजह से देरी की जा रही है। अब जालंधर नगर निगम के चुनाव और लटकने की संभावनाएं पैदा हो गई हैं क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने जालंधर निगम की प्रस्तावित वार्डबंदी को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दे डाली है। यह याचिका हाईकोर्ट के वकील एडवोकेट मेहताब सिंह खैहरा, हरिंदर पाल सिंह ईशर तथा एडवोकेट परमिंदर सिंह विग द्वारा डाली गई है जिसमें पंजाब सरकार और इसके विभिन्न विभागों को प्रतिवादी बनाया गया है। यह याचिका जिला कांग्रेस के प्रधान तथा पूर्व विधायक राजेंद्र बेरी, पूर्व कांग्रेसी पार्षद जगदीश दकोहा तथा पूर्व विधायक प्यारा राम धन्नोवाली के पौत्र अमन द्वारा डाली गई है।
याचिका में तर्क दिया गया है कि पंजाब सरकार ने जब डीलिमिटेशन बोर्ड का गठन किया था, उसके सदस्यों को बदला नहीं जा सकता परंतु बोर्ड के सदस्य जगदीश दकोहा तथा अन्य पार्षदों को इस आधार पर हटा दिया गया क्योंकि जालंधर निगम के पार्षद हाऊस की अवधि खत्म होने के बाद वह पार्षद नहीं रह गए थे । याचिका में कहा गया है कि 5 एसोसिएट सदस्यों को न तो डिलीमिटेशन बोर्ड की बैठक में बुलाया गया और न ही उन्हें बोर्ड से हटाने हेतु कोई नोटिफिकेशन ही जारी किया गया। सरकार ने अपनी ओर से दो सदस्य बोर्ड में मनोनीत कर दिए जबकि सरकार केवल एक ही सदस्य बोर्ड में अपनी ओर से भेज सकती है। याचिका में कहा गया है कि जब डीलिमिटेशन बोर्ड ही अवैध है तो उस द्वारा तैयार की गई वार्डबंदी अपने आप ही गैरकानूनी हो जाती है।
याचिका में तर्क दिया गया है कि प्रस्तावित वार्डबंदी में गूगल मैप को आधार बनाया गया है जो आम आदमी की समझ से परे है। इसकी बजाए ड्राफ्ट्समैन से वार्डों की सीमाओं का निर्धारण किया जाना चाहिए था परंतु राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते वार्डबंदी का प्रस्तावित ड्राफ्ट तैयार किया गया। पता चला है कि कांग्रेस ने याचिका में स्टे आर्डर की मांग की है ।
लोकसभा उपचुनाव जीतने के तुरंत बाद आम आदमी पार्टी के ज्यादातर नेता जालंधर निगम के चुनाव जल्द करवाने के पक्षधर थे परंतु इस मामले में जालंधर निगम के अधिकारी आप नेताओं का साथ नहीं दे रहे। गौरतलब है कि वार्डबंदी पर एतराज मांगने की प्रक्रिया दौरान भी जालंधर निगम में सिस्टम अत्यंत खराब था। चौथी मंजिल पर छोटे से हाल में मैप प्रदर्शित किया गया जो आम लोगों की समझ में नहीं आया । ऊपर से मैप की फोटो खींचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया जिस कारण सभी दलों के नेताओं में रोष व्याप्त रहा।
मैप के ऊपर मार्किंग इतनी फीकी थी कि कुछ पढ़ा नहीं जा रहा था। मैप के ऊपर रंग भी अत्यंत फीके और आपस में मिलते थे जिस कारण वार्डों की सीमाओं का सही पता ही नहीं लग पा रहा था। आज वार्डबंदी पर एतराज प्राप्त हुए भी जालंधर निगम को कई सप्ताह हो गए हैं परंतु आज तक इन आपत्तियों को पंजाब सरकार तक भेजा ही नहीं गया। जालंधर निगम के अधिकारियों की इसी लापरवाही के कारण कांग्रेस को हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पर विवश होना पड़ा और विपक्ष को समय मिल गया अन्यथा अगर अब तक फ़ाइनल नोटिफिकेशन हो जाता तो याचिका बेअसर रहती।
गौरतलब है कि जब जालंधर शहर में वार्डबंदी तैयार करने हेतु पापुलेशन सर्वे चल रहा था तब सर्वे टीमों ने वेतन न मिलने के कारण बीच में ही काम छोड़ दिया था। तब भी जालंधर निगम के अधिकारियों की भारी लापरवाही सामने आई थी क्योंकि सर्वे टीमों ने पिछले साल वाला डाटा उठाकर ही पापुलेशन सर्वे पूरा कर दिया था। बाद में लोकल बॉडीज की टीम ने चंडीगढ़ से आकर करीब 30 वार्डों का सर्वे दोबारा किया था जिसके चलते पापुलेशन में एक लाख से ज्यादा की वृद्धि हो गई थी। वार्डबंदी मामले में लापरवाही बरतने वाले किसी निगमाधिकारी पर आजतक कोई एक्शन नहीं हुआ है।