China की रेटिंग घटी India की Rating हो गई ‘Overweight’

chinas-rating-decreased-indias-rating-became-overweight

189
0

वाशिंगटन: ग्लोबल फाइनैंशियल इंस्टीच्यूटशन मॉर्गन स्टेनली ने दुनिया की दो सबसे बड़ी और सबसे प्रभावशाली अर्थव्यवस्थाओं के लिए अपनी इन्वैस्टमैंट सिफारिशों में संशोधन किया है। संस्था ने भारत की रेटिंग को अपग्रेड करके ओवरवेट कर दिया है, जो देश के इन्वैस्टमैंट माहौल के लिए पॉजिटिव आऊटलुक का संकेत है। दूसरी ओर, इसने चीन को डाऊनग्रेड कर दिया है, जो ग्लोबल इकोनॉमिक आऊटलुक में बदलती मोबिलिटी को दर्शाता है। भारत की रेटिंग को ओवरवेट करने का मॉर्गन स्टैनली का निर्णय इन्वैस्टमैंट डैस्टिनेशन के तौर पर देश की बढ़ती कैपेसिटी का प्रूफ है। यह अपग्रेडेशन भारत की इकोनॉमिक संभावनाओं, मार्कीट के अवसरों और नीतिगत उपायों के प्रति अनुकूल दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस अपग्रेडेशन में योगदान देने वाले फैक्टर्स में भारत के चल रहे स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स, बढ़ता मध्यम वर्ग, मजबूत टैक्नोलॉजी सैक्टर और इंडस्ट्रीज की डायवर्सिफाइड चेन है।

चीन की रेटिंग घटी
इसके विपरीत, चीन को डाऊनग्रेड करने का मॉर्गन स्टेनली का निर्णय देश के प्रति इन्वैस्टर्स की भावना में बदलाव का सुझाव देता है। इस गिरावट को अलग-अलग फैक्टर्स के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसमें चीन के रैगुलेटरी इन्वायर्नमैंट पर चिंताएं, दूसरे देशों के साथ ट्रेड को लेकर टैंशन और इकोनॉमिक डिवैल्पमैंट में संभावित रीसेशन शामिल है। इन फैक्टर्स ने चीन के इन्वैस्टमैंट अट्रैक्शन के रीवैल्यूएशन को इन्स्पायर किया है।

ग्लोबल लैवल पर इसका मतलब क्या है?
भारत और चीन के लिए मॉर्गन स्टैनली के रेटिंग को रीवाइज करने का ग्लोबल इन्वैस्टमैंट आऊटलुक पर बड़ा प्रभाव है। भारत के लिए अपग्रेडेड रेटिंग फॉरेन इन्वैस्टमैंट को आकर्षित कर सकती है, जिससे संभावित रूप से इकोनॉमिक डिवैल्पमैंट और इन्नोवेशन को बढ़ावा मिलेगा। इस बीच, चीन की रेटिंग में गिरावट से इन्वैस्टमैंट पोर्टफोलियो का पुनर्गठन हो सकता है क्योंकि इन्वैस्टर्स दूसरे वैकल्पिक मार्कीट्स की तलाश कर रहे हैं जो उनकी रिस्क लेने की कैपेसिटी और डिवैल्पमैंट की उम्मीदों के अनुरूप हों।

मार्कीट की प्रतिक्रियाएं और रुझान
मॉर्गन स्टेनली की रेटिंग में बदलाव पर मार्कीट अपनी प्रतिक्रिया दे सकता है, जिसका दोनों देशों में स्टॉक की कीमतों, कैपिटल μलो और ओवरऑल मार्कीट परसैप्शन पर असर हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि रेटिंग के रीवाइज किए जाने के बाद भारत और चीन में इन्वैस्टर्स के व्यवहार और सरकारी नीतियों को कैसे प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त, रेटिंग में बदलाव दूसरे फाइनैंशियल इंस्टीच्यूशंस इंस्टीट्यूशंस को इन इकोनॉमीज के अपने आकलन पर फिर से विचार करने के लिए इन्सपायर कर सकता है।