गरीब विद्यार्थियों के मसीहा के तौर पर जाने जाते थे प्रोफ़ैसर BC Verma

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चंडीगढ़ : प्रख्यात शिक्षा शास्त्री और रसायन विज्ञान के प्रोफ़ैसर बी.सी. वर्मा आज सुबह पी.जी.आई. चंडीगढ़ में कुछ दिन दाखि़ल रहने के उपरांत स्वर्ग सुधार गए। विनम्रता और सादगी के साथ कुशल प्रोफ़ैसर रहे बी.सी. वर्मा द्वारा अपने अध्यापन के समय किये नेक कामों के कारण प्राप्त प्रार्थनाओं का ही फल है कि परमात्मा ने उनके पुत्र अनुराग वर्मा को पंजाब के मुख्य सचिव के स्थान पर पहुँचाया।

प्रो. बी.सी. वर्मा का जन्म 2 अप्रैल, 1934 को पटियाला जिले के गाँव चलैला में हुआ। बचपन से ही पढ़ाई की लगन के कारण वह पहले पैदल और फिर साइकिल पर 15 किलोमीटर दूर पटियाला शहर पढ़ने जाते थे। रसायन विज्ञान विषय में उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद सरकारी महेन्दरा कॉलेज, पटियाला में रसायन विज्ञान के प्रोफ़ैसर के तौर पर सेवाएं निभाईं।

अपने अध्यापन के कार्यकाल के दौरान वर्मा विद्यार्थियों में बहुत प्रसिद्ध थे। अस्सी के दशक में जब ट्यूशनों का दौर शिखर पर था, तब वर्मा ने कालेज की पढ़ाई के बाद गरीब, जरूरतमंद और होशियार विद्यार्थियों को घर में मुफ़्त पढ़ा कर प्रसिद्ध हासिल की। वह अनेक परिवारों के बच्चों के लिए मार्गदर्शक बने और जरूरतमंद की तुरंत मदद करते। अपने विद्यार्थियों के अकादमिक मामलों में हर तरह की मदद करने के साथ अपने सहायक कर्मचारियों के प्रति भी सहृदय और रचनात्मक सोच रखते थे।

प्रो. बी.सी. वर्मा के पढ़ाए विद्यार्थी अलग-अलग क्षेत्रों में उच्च पदों पर पहुँचे जिनमें सिवल और पुलिस अधिकारी, प्रोफ़ैसर और बड़ी संख्या में डाक्टर शामिल हैं। दिल के रोगों के माहिर डाक्टर गुरप्रीत सिंह वांडर अक्सर अपने आदरणीय अध्यापक प्रो. वर्मा को याद करते थे। वर्मा ने अध्यापन के इलावा बतौर शिक्षा प्रशासक कुशल सेवाएं निभाईं। आप सरकारी कालेज पट्टी और सरकारी स्पोर्टस कालेज जालंधर के प्रिंसिपल रहने के उपरांत डी.पी. आई. कॉलेज में बतौर डिप्टी डायरैक्टर के तौर पर सेवा-मुक्त हुए। प्रो. बी. सी. वर्मा के धर्म पत्नी भी अध्यापिका थे और उनका एक पुत्र अनुराग वर्मा इस समय पर पंजाब के मुख्य सचिव और दूसरे पुत्र अशीष वर्मा एडवोकेट हैं।