विश्व के बीस से अधिक राष्ट्राध्यक्षों की मेजबानी के दौरान दिल्ली में पुलिस और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों को सुरक्षा के कठोरतम और अनूठे मापंदडों को अपनाना पड़ा। एसपीजी ने दिल्ली पुलिस और एलीट कमांडो फोर्स के वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक में राष्ट्राध्यक्षों के होटलों के कोड नेम निर्धारित किए। होटल स्टाफ तक को नहीं पता था कि वह किस अंतरराष्ट्रीय हस्ती की सेवा में रत होंगे।
होटल स्टाफ तक को नहीं पता थे राष्ट्राध्यक्षों के कोड नेम
एसपीजी ने दिल्ली पुलिस और एलीट कमांडो फोर्स के वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक में राष्ट्राध्यक्षों के होटलों के कोड नेम निर्धारित किए। एक महीने पहले से शुरू हुई इस कवायद में होटल स्टाफ तक को नहीं पता था कि वह किस अंतरराष्ट्रीय हस्ती की सेवा में रत होंगे।
पुलिस अधिकारियों को भी नहीं पता था किस राष्ट्राध्यक्ष का कौन सा है कोड नेम
यहां तक कि सुरक्षा कारणों से निचले पुलिस अधिकारियों को भी कूट नामों का असली नाम नहीं पता होता था। सभी कार्यक्रमों के निर्बाध होने के लिए जानकारियों के आदान-प्रदान के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के होटल आइटीसी मौर्या को ‘पंडोरा’ नाम दिया गया।
ऋषि सुनक के होटल का नाम रखा था समारा
ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति जिस पांच सितारा होटल शंग्रीला में ठहरे थे उसे ‘समारा’ नाम दिया गया। लुटियन दिल्ली की मानसिंह रोड पर स्थित ताजमहल होटल में यूएई के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ठहरे थे जिसे ‘पैरामाउंट’ नाम दिया गया।
प्रगति मैदान को मिला था नाम ‘निकेतन’
इसी तरह अन्य होटलों जैसे ला मैरीडियन को महाबोधि नाम दिया गया। वहीं राजघाट और प्रगति मैदान को क्रमश: ‘रुद्रपुर’ और ‘निकेतन’ नाम दिए गए।
सूचनाओं को इतना गुप्त रखने व कड़ी निगरानी के बावजूद भी सुरक्षा एजेंसियों के सामने सिक्योरिटी ब्रीच की कुछ समस्याएं आईं। जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति के काफिले का एक वाहन अचानक ताज पैलेस होटल में घुस गया। ड्राइवर ने पूछताछ में बताया कि उसे एक उद्योगपति को लोधी स्टेट से ताज होटल ले जाना है।