लुधियाना में एक बच्चे की 6 सितंबर को संदिग्ध परिस्थतियों में हुई मौत

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लुधियाना में एक बच्चे की 6 सितंबर को संदिग्ध परिस्थतियों में मौत हो गई। इसके बाग बच्चे के शव को दफना दिया गया, लेकिन 24 घंटे बाद फिर से शव को बाहर निकाला गया है। शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा।

बच्चे के पारिवारिक सदस्यों का आरोप है कि जिस अस्पताल में वह बच्चे को सबसे पहले उपचार के लिए लेकर गए, उसी अस्पताल के स्टाफ ने अधिक मात्रा में ग्लूकोज चढ़ा दिया और उसे मौत के घाट उतार दिया।

उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रशासन अपनी लापरवाही छिपाने के लिए बच्चे को अन्य अस्पताल में तुरंत रेफर करने लगा। जब वह बच्ची को दूसरे अस्पताल लेकर गए तो वहां डॉक्टर ने उसे मृत करार दे दिया। मरने वाले बच्चे की पहचान प्रताप कुमार (4) के रूप में हुई है

पिता पवन ने बताया कि वह 33 फूटा रोड के रहने वाले हैं। उनके बेटे प्रताप ने 6 सितंबर रात को खाना खाया। इसके बाद अचानक से उसकी तबीयत खराब हो गई। वह बच्चे को लेकर 33 फूटा रोड नजदीक सुंदर नगर चौक में एक निजी अस्पताल ले गए, जहां प्रताप को दाखिल करवाया गया। अस्पताल के डॉक्टर ने बच्चे का उपचार तक नहीं किया, जबकि बच्चे को ग्लूकोज अस्पताल में डॉक्टर के एक सहायक ने लगाया। पवन ने कहा कि उन्हें शक है कि बच्चे की हालत नाजुक ग्लूकोज की मात्रा अधिक लगने से हुई है। इसी कारण उसने दम तोड़ दिया।

पवन ने बताया कि वह मोटरसाइकिल रिपेयर का काम करता है। बेटे की मौत के बाद उसे मामला संदिग्ध लगा। जिस कारण उसने चौंकी मुंडिया कलां में शिकायत लिखवाई। मरने वाला बच्चा उसका इकलौता बेटा था। मामले की जांच के बाद पुलिस की मौजूदगी में 24 घंटे बाद जमीन में दफन किए बच्चे प्रताप का शव कब्र से बाहर निकाला।

फिलहाल शव को पुलिस ने कब्जे में लेकर सिविल अस्पताल की मॉर्च्युरी में पोस्टमार्टम के लिए रखवा दिया है। पोस्टमार्टम होने के बाद बच्चे की मौत के असल कारणों का पता चल पाएगा। फिलहाल पुलिस ने अभी धारा 174 के तहत कार्रवाई की है।

अस्पताल प्रशासन की सफाई

इस मामले में निजी अस्पताल के मालिक मनप्रीत ने बताया कि बच्चे को जिस हालत में उसके परिजन लेकर आए थे उसके प्लेटलेट सेल सिर्फ 17 हजार थे। जबकि बच्चे के सेल डेढ़ लाख होने चाहिए। इंसानियत के नाते उन्होंने अपनी गाड़ी फ्री में बच्चे को किसी अन्य अस्पताल में दाखिल करवाने के लिए भेजी। बाकी उन्हें पुलिस की जांच पर पूरा यकीन है।