हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट दाखिल की

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चंडीगढ़: यौन उत्पीड़न के एक मामले में आरोपी हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ चंडीगढ़ पुलिस ने यहां की एक अदालत में अपनी अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है। मामला दर्ज होने के लगभग आठ माह बाद आरोपपत्र दाखिल किया गया। पुलिस ने शुक्रवार को यहां मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में रिपोर्ट दाखिल की।

चंडीगढ़ पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘जांच के बाद, न्यायिक फैसले के लिए 25 अगस्त को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमन इंदर सिंह संधू की अदालत में आरोपी के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 173 (जांच पूरी होने पर पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट) के तहत एक अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है।’’हरियाणा की एक जूनियर एथलेटिक कोच द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता के खिलाफ लगाये गये आरोपों से यह मामला संबद्ध है।
संदीप सिंह पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक प्रयोग करना), 354ए (यौन उत्पीड़न), 354बी (निर्व करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 342 (बंधक बनाना) और 506 (आपराधिक भयादोहन)के आरोप दर्ज किये गए हैं।

महिला के अधिवक्ता दीपांशु बंसल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि शिकायत के आठ माह बाद आरोपपत्र दाखिल किया गया फिर भी दुष्कर्म के प्रयास के आरोपों का उल्लेख नहीं किया गया। ‘‘हम माननीय अदालत के समक्ष इसका विरोध करेंगे।’’इससे पहले, अधिवक्ता ने अनुरोध किया था कि मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को मूल प्राथमिकी में ‘दुष्कर्म के प्रयास’ का आरोप भी जोड़ना चाहिए।
हरियाणा के खेल विभाग के निदेशक यशेंद्र सिंह ने सेवा आचरण नियमों के कथित उल्लंघन पर महिला कोच को 11 अगस्त को निलंबित कर दिया था।कोच ने हाल में पत्रकारों से बातचीत के दौरान आरोपपत्र दाखिल करने में देरी पर आलोचना की थी।

उन्होंने आरोप लगाया था, ‘‘चंडीगढ़ पुलिस..ऐसा लगता है कि वे भी दबाव में हैं।’’ संदीप सिंह वर्तमान में मुद्रण और स्टेशनरी राज्य मंत्री हैं। इससे पहले वह हरियाणा के खेल मंत्री और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान रह चुके हैं।घटना के सिलसिले में आरोपों के बाद संदीप सिंह ने खेल विभाग छोड़ दिया था। साथ ही उन्होंने महिला कोच के आरोपों को निराधार बताया था। खेल विभाग अभी हरियाणा के मुख्यमंत्री के पास है।