Punjab: भूटान से बिना लाइसेंस आयात होगा आलू, पंजाब के उत्पादक कीमतें गिरने की संभावना से चिंतित

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कृषि मंत्रालय के आंकड़ों की मानें तो देश में प्रति वर्ष लगभग 5 करोड़ टन आलू की पैदावार होती है और हर साल देश में 3.5 करोड़ टन आलू की खपत होती है। हालांकि बड़े व्यापारियों का तर्क है कि केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद देश में आलू की आपूर्ति बढ़ेगी और इसकी कीमतों पर अंकुश लगेगा।

केंद्र सरकार द्वारा 30 जून 2024 तक सीमा से सटे भूटान से बिना लाइसेंस के आलू के आयात की अनुमति देने से आलू उत्पादकों व व्यापारियों की चिंता बढ़ गई है। भूटान के आलू की उत्तम किस्म और दूसरी किस्मों के मुकाबले कम सड़ने की गुणवत्ता के कारण उत्तरी भारत में पैदा होने वाले आलू की खपत पर खतरा मंडराने लगा है। खासकर पंजाब के आलू को नुकसान होने की आशंका से व्यापारियों व किसानों की चिंता बढ़ने लगी है।
देश में कई राज्यों के किसान बड़े पैमाने पर आलू की खेती करते हैं। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब और गुजरात में आलू की पैदावार अधिक होती है। खासकर पंजाब आलू की पैदावार में अव्वल है और यहां के बीज से ही बाकी प्रदेशों में आलू की पैदावार होती है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों की मानें तो देश में प्रति वर्ष लगभग 5 करोड़ टन आलू की पैदावार होती है और हर साल देश में 3.5 करोड़ टन आलू की खपत होती है। हालांकि बड़े व्यापारियों का तर्क है कि केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद देश में आलू की आपूर्ति बढ़ेगी और इसकी कीमतों पर अंकुश लगेगा। अभी तक खुदरा मार्केट में आलू 5 रुपये प्रति किलो से लेकर 15 रुपये प्रति किलो तक आसानी से उपलब्ध है।

फ्रूट व सब्जी मंडी के आयातक बब्बू रशपाल सिंह का कहना है कि भूटानी आलू के आयात के बाद आलू की कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी व दूसरे सब्जियों के मुकाबले आलू के दामों में उछाल नहीं आएगा। आलू कारोबारी पवन तनेजा की अलग राय है, उनके मुताबिक भूटान के आलू से पंजाब के आलू पर असर पड़ेगा, यहां पर पहले ही किसान बेहाल है और आलू की बंपर फसल अगर भूटान से आती है तो पंजाब में आलू किसानों पर खतरा तो पैदा होगा ही। आगे ही उनको फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। किसान बेचारा 5 रुपये प्रति किलो से भी कम पर कई बार आलू बेच जाता है और कई मौके ऐसे आएं हैं कि किसानों को आलू सड़कों पर फेंकना पड़ा है।

किसान नेता बलवंत सिंह का कहना है कि पंजाब किसानों के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है। यहां के आलू की कीमत इतनी तेजी से गिरी है कि किसानों के सामने अब अपनी लागत निकालने का संकट खड़ा हो गया है। पहले उत्तर प्रदेश से पंजाब पहुंचे आलू ने पंजाब के आलू के दाम गिरा दिए हैं, अगर भूटान का आलू उत्तरी भारत में पैर जमा लेता है तो पंजाब के आलू उत्पादक किसान कहां जाएंगे? जानकारों का कहना है कि इस बार उत्तर प्रदेश से पंजाब में जो आलू की खेप पहुंच रही है, वह अच्छी क्वालिटी की है। खुद के पंजाब के लोग भी उत्तर प्रदेश के आलू को बड़े चाव से खा रहे हैं। पंजाब का आलू कुछ दिनों पहले तक 12 से 15 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, अब उसकी कीमत 5 रुपये प्रति किलोग्राम तक आ गई है।

नामवर आढ़ती व प्रसिद्ध आलू कारोबारी मोनू पुरी का कहना है कि पंजाब का दोआब क्षेत्र आलू की खेती के लिए मशहूर है। इस क्षेत्र में 46 हजार हेक्टेयर में आलू की बुवाई की जाती है। यहां के आलू का डंका तो विदेशों में भी बजता है। किसानों के आगे अब विकल्प यह है कि वह आलू के बजाय बीज को बेचने पर जोर दे रहे हैं। इससे ठीक ठाक लागत निकल आएगी। पंजाब में आलू की फसल काफी अच्छी होती है लेकिन भूटान के आलू से झटका तो लगेगा ही।

थोक में पंजाबी आलू के भाव…प्रति 50 किलो…
पुखराज 350 रुपये
ज्योति 450 रुपये
डायमंड 650 रुपये
एलआर लाल 600 रुपये

हमारे पास तो अब जेएंडके व हिमाचल की मंडी बची…
आलू के थोक विक्रेता पवन तनेजा का कहना है कि अब तो पंजाब के आलू उत्पादकों व व्यापारियों के पास जेएंडके और हिमाचल की मंडी ही बची है। हमारा आलू सिर्फ वहीं पर बिक सकता है। पहले तो आलू बंगाल से लेकर दिल्ली तक राज करता था। पहले यूपी के आलू ने कमर तोड़ी अब भूटान का तोड़ रहा है।