भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को एक अहम फैसला लेते हुए 2000 के नोटों की वापसी की घोषणा कर दी है. यानी कि अब दो हजार के नोट धीरे-धीरे चलन से बाहर हो जाएंगे.
RBI की ओर से इसकी तारीख 30 सितंबर 2023 मुकर्रर की गई है. इस तारीख तक इन नोटों को बैंकों से बदला जा सकता है.
आरबीआई के इस फैसले पर राजनेताओं, नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.
इसी बीच पीएम मोदी के प्रधान सचिव रहे नृपेंद्र मिश्रा ने भी 2000 रुपये के नोट की वापसी को लेकर प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने कहा कि जब नोटबंदी की योजना बनाई गई थी तो पीएम मोदी के ध्यान में पहले से ही यह बात थी कि दो हजार रुपये का नोट एक अस्थायी समाधान है. यानी कि इन नोटों का बदला जाना अपेक्षित ही था.
नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि नोटबंदी के समय यह एक महत्वपूर्ण फैसला था, जिसे पीएम मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने लिया था.
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की सोच थी कि जो कि 2000 रुपये का नोट लाया जा रहा है. यह एक विशेष परिस्थितियों में लाई गई अस्थाई व्यवस्था थी.
इसे दीर्घकालीन प्रक्रिया के साथ कभी आगे लेकर नहीं बढ़ना था.
इसके साथ ही उस समय भी पीएम का मत था कि यह बड़ा नोट (2000 रुपये का नोट) प्रमुख रूप से गरीबों के लिए लेन-देन के लिए व्यावहारिक नहीं होगा. ऐसे में इन्हें बदले जाने को लेकर वो आश्वस्त थे.
इसके अलावा उस समय भी उनकी सोच थी कि अगर 2 हजार के नोट को लंबे अरसे तक चालू रखेंगे तो इससे काले धन को प्रोत्साहन मिलेगा और दूसरा टैक्स की चोरी आसान होगी.
इसलिए उनका मत था कि इसे जितनी जल्दी वापस ले सकें उतना ठीक होगा. इसके लिए चरणबद्ध तरीके से फैसले लिए गए हैं.
पहला निर्णय तो ये लिया गया कि 2000 रुपये के नोट प्रिंट नहीं होंगे.
इसके बाद, अगले चरण में धीरे-धीरे इनके सर्कुलेशन कम करने की और इनकी वापसी की प्रक्रिया शुरू की गई.
अब शुक्रवार को RBI ने एक सर्कुलर जारी करके ये साफ कर ही दिया है कि 30 सितंबर तक इन सभी नोटों की वापस ले लिया जाएगा.