Jalandhar जालंधर उप चुनाव के परिणाम कल आएंगे। परिणाम का असर सभी राजनीतिक पार्टियों पर दिखना तय है। चुनाव परिणाम आने के बाद तय माना जा रहा हैं कि कैबिनेट मंत्री की छुट्टी हो सकती हैं। सबसे बड़ी चुनौती सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के लिए हैं।
जालंधर में हुए लोक सभा के चुनाव परिणाम कल यानी शनिवार को आ जाएंगे। परिणाम कुछ भी हो लेकिन इसका सभी राजनीतिक पार्टियों पर असर पड़ना तय हैं। सबसे बड़ा असर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी पर पड़ना तय हैं। चूंकि चुनाव के दौरान ही खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारूचक का अश्वील वीडियो सामने आया। राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा इसकी फोरेंसिक जांच भी करवा ली गई हैं। जिसकी रिपोर्ट भी मुख्यमंत्री भगवंत मान को भेजा जा चुका हैं।
चुनाव को देखते हुए सरकार ने अभी तक कटारूचक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद तय माना जा रहा हैं कि कैबिनेट मंत्री की छुट्टी हो सकती हैं। वहीं, चुनाव परिणाम से ही यह तस्वीर भी साफ होनी शुरू हो जाएगी कि क्या भाजपा और शिरोमणि अकाली दल का पुनः गठबंधन हो सकता हैं।
जालंधर उप चुनाव में चार राजनीतिक पार्टियां अपना भाग्य आजमा रही थी। सबसे बड़ी चुनौती सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के लिए हैं। क्योंकि विधान सभा में सरकार बनाने के बाद पिछले वर्ष आप ने पहला उप चुनाव मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह क्षेत्र में लड़ा गया, जो हार गई। ऐसे में आप के लिए दूसरा उप चुनाव सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। आप अगर यह चुनाव हारती हैं तो सरकार से लेकर पार्टी तक में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता हैं। क्योंकि चुनाव के दौरान भी देखने को मिला की पार्टी के बाद बूथ पर बैठाने के लिए नेता व कार्यकर्ता नहीं थे।
वहीं, चुनाव परिणाम का असर कांग्रेस पर भी देखने को मिलेगा। अगर कांग्रेस चुनाव जीतती हैं तो पार्टी में एकता कायम रहेगी और अगर कांग्रेस चुनाव हारती हैं तो वरिष्ठ नेताओं में एक बार फिर खींचतान शुरू हो सकती हैं। जिसका मुख्य कारण यह भी हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने के बाद से कांग्रेस को अभी तक कोई दमदार मुखिया नहीं मिल पाया है।
वहीं, इस चुनाव के परिणाम से ही तय होगा कि क्या भविष्य में भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल का गठबंधन हो सकता हैं या नहीं। भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने और लगातार दो विधान सभा और एक लोक सभा का उप चुनाव हारने के बाद शिरोमणि अकाली दल का राजनीतिक ग्राफ तेजी से नीचे गिरा। शिअद ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करके अपनी खोई ही राजनीतिक जमीन को तो पाने की कोशिश की हैं लेकिन सारा दारोमदार जालंधर लोक सभा के उप चुनाव पर टिका हुआ हैं।
शिअद भाजपा के साथ गठबंधन में रहते हुए भले ही जालंधर सीट पर लड़ती रही हो लेकिन इस बार उसने सबसे ज्यादा भरोसा बहुजन समाज पार्टी पर किया हैं। क्योंकि जालंधर लोक सभा क्षेत्र में बसपा का अच्छा आधार माना जाता हैं। अगर शिअद पहले या दूसरे स्थान पर रहती हैं तो पंजाब में उनका ग्राफ बढ़ना तय हैं अगर वह तीसरे और संगरूर की तरह चौथे स्थान पर गई तो शिअद को अपने गठबंधन पर पुनः विचार करना पड़ेगा। जिसके संकेत चुनाव के दौरान शिअद नेताओं ने देना शुरू कर दिया था।
वहीं, पहली बार जालंधर लोक सभा का चुनाव लड़ रही भाजपा के लिए भी चुनाव परिणाम बेहद महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि शिअद के साथ गठबंधन में रहते हुए भाजपा हमेशा ही जालंधर शहरी की तीन सीटों पर ही चुनाव लड़ती थी। 2022 में जरूर भाजपा ने अपना दायरा बढ़ाया लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा को कोई खास मत नहीं पड़े। एसे में उप चुनाव के जरिये भाजपा ने गांव क्षेत्रों में अपना आधार बनाने पर जोर दिया हैं ताकि 2024 में पार्टी अपने दम पर खड़ी हो सके।