जालंधर: पंजाब में जालंधर, लुधियाना व अमृतसर तथा पटियाला में कार्पोरेशन चुनाव सितम्बर अंत या अक्तूबर के शुरू में करवाने पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है। इस संबंध में अंतिम फैसला मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा लिए जाने के आसार हैं।मुख्यमंत्री द्वारा अपने कैबिनेट साथियों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री को यही सलाह दी जा रही है कि जालंधर वैस्ट विधानसभा हलके का उपचुनाव भारी बहुमत के साथ जीतने के बाद अब पार्टी वालंटियर्स का मनोबल ऊंचा है और इसका लाभ तुरंत उठाया जाना चाहिए।
जालंधर वैस्ट उपचुनाव आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मोहिंदर भगत ने जीता था और इसके लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने काफी मेहनत की थी। पार्टी नेताओं का मानना है कि कार्पोरेशन चुनाव अब जल्द करवाने का निर्णय सरकार द्वारा लिया जा सकता है। मुख्यमंत्री की भी यही इच्छा है कि कार्पोरेशन चुनाव जल्द होने चाहिएं। उल्लेखनीय है कि राज्य में कार्पोरेशन चुनाव अब तक पिछले डेढ़ वर्षों से किसी न किसी कारण से लटकते चले आ रहे हैं। पंजाब सरकार ने कई बार कार्पोरेशन चुनाव करवाने का मन बनाया था। पहले ये चुनाव पिछले साल अगस्त-सितम्बर में करवाए जाने थे। उसके बाद जनवरी 2024 में यह चुनाव करवाने बारे विचार हुआ था परंतु लोकसभा चुनाव निकट आने के कारण इन्हें करवाने का अंतिम फैसला टाल दिया गया था। यह भी बताया जा रहा है कि सरकार की दृष्टि से कार्पोरेशन चुनाव करवाने का सबसे उपयुक्त समय यही है। कार्पोरेशन चुनाव करवाने का अगर सरकार निर्णय लेती है तो भी इसमें 2 महीने का समय लग जाएगा। अगस्त मध्य में ये चुनाव इसलिए संभव नहीं होते क्योंकि उस समय स्वतंत्रता दिवस के कारण पहले ही सुरक्षा कर्मचारी सिक्योरिटी के कामों में व्यस्त होते हैं। इसलिए सितम्बर अंत का महीना इस काम के लिए सबसे बेहतर माना जा रहा है। सरकार भी चाहती है कि त्यौहारी मौसम शुरू होने से पहले कार्पोरेशन चुनाव होने चाहिएं। कार्पोरेशन चुनाव करवाने के बाद ही शहरों में जमीनी स्तर पर विकास के काम शुरू हो सकेंगे।
4 विधानसभा सीटों के उपचुनाव से पहले कार्पोरेशन चुनाव करवाने पर विचार-विमर्श
सरकार राज्य में 4 विधानसभा सीटों के उपचुनाव से पहले कार्पोरेशन चुनाव करवाने पर विचार-विमर्श कर रही है। आम आदमी पार्टी के नेताओं का मानना है कि कार्पोरेशन चुनाव जीतकर पार्टी इसका असर 4 विधानसभा सीटों के ऊपर डाल सकती है। इसका लाभ चारों उपचुनावों में पार्टी उठा सकती है, क्योंकि उपचुनाव भी सरकार के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनने वाले हैं।