शेरपुर: 1 जुलाई से 3 नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। अब आई.पी.सी. की जगह भारतीय न्याय संहिता, सी.आर.पी.सी. की जगह भारतीय सिविल डिफैंस कोड और भारतीय ऐवीडैंस एक्ट लागू हो गया है। पिछले साल ही यह तीनों कानून संसद में बने थे। अब नए कानूनों के साथ एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित हो गई है।
बता दें कि ऐसे कई अपराध थे जिन्हें आई.पी.सी. में परिभाषित नहीं किया गया था। इसमें यह नहीं बताया गया था कि कौन से अपराध आतंकवाद की श्रेणी में आएंगे। नए कानून में भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले को आंतकवाद की श्रेणी में रखा गया है। इसका वर्णन भारतीय न्याय संहिता की धारा 113 में किया गया है। इसमें भारतीय करंसी की तस्करी भी शामिल होगी। आतंकवादी गतिविधियों के लिए आजीवन कारावास या मौत की सजा भी हो सकती है।
कानून के मुताबिक आतंकी साजिश रचने पर पांच साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा आतंकी संगठन में शामिल होने पर उम्रकैद और जुर्माने का भी प्रावधान है। आतंकवादियों को छिपाने पर तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
भारतीय न्याय संहिता में देशद्रोह को खत्म कर दिया गया है। इसके साथ ही भारत की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाले कार्यों को देशद्रोह में शामिल किया गया है। इसके लिए बी.एन.एस. की धारा 152 लगाई जाएगी। आईपीसी में मॉब लिंचिंग का कोई जिक्र नहीं था, अब इस अपराध के लिए उम्रकैद से लेकर मौत तक की सजा हो सकती है। इसे बी.एन.एस. की धारा 103 (2) में शामिल किया गया है।
इनमें होगा बदलाव
धारा 124 : आईपीसी की धारा 124 राजद्रोह से संबंधित मामलों में सजा का प्रावधान करती है। नए कानूनों के तहत ‘राजद्रोह’ को एक नया शब्द ‘देशद्रोह’ मिला है, यानी ब्रिटिश काल का शब्द हटा दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 7 में ‘देशद्रोह’ को राज्य के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है।
धारा 144 : आईपीसी की धारा 144 घातक हथियारों से लैस गैरकानूनी इकट्ठ में शामिल होने के बारे में थी। भारतीय न्याय संहिता का अध्याय 11 इस धारा को सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध के रूप में वर्गीकृत करता है। अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 187 गैरकानूनी इक्ट्ठ से संबंधित है।
धारा 302 : पहले किसी की हत्या करने वाले व्यक्ति को धारा 302 के तहत दोषी ठहराया जाता था। हालांकि, अब ऐसे अपराधियों को धारा 101 के तहत सजा दी जाएगी। नए कानून के मुताबिक अध्याय 6 में हत्या की धारा को मानवीय शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध कहा जाएगा।
धारा 307 : नए कानून के अस्तित्व में आने से पहले हत्या की कोशिश के आरोपी को आईपीसी की धारा 307 के तहत सजा दी जाती थी। अब ऐसे आरोपियों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 के तहत सजा सुनाई जाएगी। इस खंड को अध्याय 6 में भी रखा गया है।
धारा 376 : बलात्कार के अपराध के लिए सजा पहले आईपीसी की धारा 376 में परिभाषित की गई थी। भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 5 में इसे महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की श्रेणी में स्थान दिया गया है। नया कानून बलात्कार से संबंधित अपराधों के लिए धारा 63 में सजा को परिभाषित करता है। वहीं गैंग रेप के मामले में आईपीसी की धारा 376डी को नए कानून की धारा 70 में शामिल किया गया है।
धारा 399 : पहले आईपीसी की धारा 399 का इस्तेमाल मानहानि के मामलों में किया जाता था। नए कानून में अध्याय 19 के तहत आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि आदि को शामिल किया गया है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में मानहानि का मामला रखा गया है।
धारा 420 : भारतीय न्याय संहिता में धोखाधड़ी या ठगी का अपराध अब 420 के बजाय धारा 316 के अंतर्गत आएगा। इस धारा को भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 17 में संपत्ति की चोरी के खिलाफ अपराधों की श्रेणी में रखा गया है।