जालंधर : लोकसभा चुनावों का दौर खत्म होने के बाद केंद्र में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तथा अगले 1-2 दिन में इस संबंध में पिक्चर क्लीयर हो जाएगी। लेकिन जहां तक पंजाब की बात है, पंजाब में किस पार्टी की क्या पोजीशन है, यह पिक्चर साफ हो चुकी है। सभी राजनीतिक दल किसी न किसी तरह से घाटे में रहे हैं। कांग्रेस का पंजाब में जहां वोट प्रतिशत कम हुआ, वहीं वह 7 सीटें जीतने में सफल रही। 2019 के मुकाबले 2024 के लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने वोट प्रतिशत में फायदा लिया। शिरोमणि अकाली दल तथा भाजपा को अनुमानित सफलता नहीं मिली। लेकिन इस सबके बीच लोकसभा चुनावों के परिणाम को विधानसभा के तौर पर आंका जाए तो पंजाब में शिरोमणि अकाली दल तथा भाजपा व आम आदमी पार्टी को नुक्सान झेलना पड़ा।
पंजाब की सत्ता ‘दूर की कौड़ी’
पंजाब में मौजूदा लोकसभा चुनावों के परिणाम के अनुसार भारतीय जनता पार्टी सभी 117 विधानसभा सीटों में से 23 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही है, इसका सीधा सा मतलब है कि लोकसभा चुनावों में 23 ऐसी विधानसभा सीटें थी, जहां पर भाजपा के उम्मीदवार अन्य दलों से आगे रहे। बेशक 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को 2 सीटें मिली थीं, लेकिन इन चुनावों में कुछ हद तक सफलता मिली लेकिन जिस तरह से पार्टी 2027 में पंजाब में सरकार बनाने के सपने पाल रही है, वह अभी ‘दूर की कौड़ी’ लग रही है। वैसे जब शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर भाजपा चुनाव लड़ती थी, तब वह 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारती थी, जबकि बाकी सीटों पर शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार होते थे, लेकिन अब जब पार्टी अकेले में चुनाव लड़ रही है तो यह मौजूदा स्थिति भी कोई बेहतर नहीं है।
सिर्फ 3 सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे भाजपा के उम्मीदवार
पंजाब में कई लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर भाजपा के उम्मीदवार तीसरे या चौथे नंबर पर रहे। गुरदासपुर, जालंधर तथा लुधियाना सीट ऐसी सीटें थीं, जहां पर भाजपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे, जबकि अन्य सीटों पर पार्टी की हालत बद से बदतर रही। पार्टी ने बेशक 18.56 प्रतिशत वोट हासिल कर लिया, लेकिन एक भी लोकसभा सीट न जीत पाना यह बेहद शर्मनाक था। बाहर से कैंडीडेट इंपोर्ट करना या अन्य सभी तरह के तिकड़म भाजपा के लिए फेल साबित हुए।
कई लोकसभा सीटों पर भाजपा को एक भी विधानसभा सीट नसीब नहीं
पंजाब में फरीदकोट, आनंदपुर साहिब, फतेहगढ़ साहिब, खडूर साहिब जैसी सीटों पर तो भाजपा एक भी विधानसभा क्षेत्र नहीं जीत सकी। इन सीटों में से आनंदपुर साहिब से सुभाष शर्मा को भाजपा ने टिकट दी थी, लेकिन वह भी कोई चमत्कार नहीं दिखा सके। इसी प्रकार फरीदकोट में हंसराज हंस को दिल्ली से लाकर विशेष तौर पर टिकट देकर नवाजा, लेकिन वह यहां पर 5वें नंबर पर रहे। जहां तक फतेहगढ़ साहिब की बात है तो वहां पर भी भाजपा के उम्मीदवार गेजा राम तीसरे नंबर पर रहे। खडूर साहिब में भाजपा ने मंजीत सिंह मन्ना को टिकट दिया, लेकिन वह भी पाचंवे नंबर पर रह गए।
अनुमान से दूर रही सफलता
लोकसभा चुनावों में जिन विधानसभा सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार आगे रहे हैं, उनमें अमृतसर की 3, फिरोजपुर की 3, गुरदासपुर की भी 3, होशियारपुर की 3, जालंधर की 2, लुधियाना की 5, बठिंडा की 1, पटियाला की 3 विधानसभा सीटें शामिल हैं। इन सीटों का कुल जोड़ 23 बनता है। इन सीटों के अलावा 94 विधानसभा सीटों पर भाजपा के मौजूदा नेता या पदाधिकारी कोई बड़ा कमाल नहीं कर सके, जिसके कारण इन लोकसभा चुनावों में पार्टी ने जिस तरह का अनुमान लगा रखा था, वैसी सफलता नहीं मिली।
किन लोकसभा सीटों पर कौन सी विधानसभा जीती भाजपा
1 बठिंडा (1)
बठिंडा शहरी
2 अमृतसर (3)
अमृतसर नार्थ
अमृतसर सैंटर
अमृतसर ईस्ट
3. फिरोजपुर (3)
बल्लुआना
फिरोजपुर शहरी
अबोहर
4. गुरदासपुर (3)
बोहा
सुजानपुर
पठानकोट
5. होशियारपुर (3)
दसूहा
होशियारपुर
मुकेरियां
6. जालंधर (2)
जालंधर सैंटर
जालंधर नार्थ
7. लुधियाना (5)
लुधियाना ईस्ट
लुधियाना वैस्ट
लुधियाना नार्थ
लुधियाना सैंटर
लुधियाना साऊथ
8. पटियाला (3)
पटियाला शहरी
राजपुरा
डेराबस्सी