जालंधर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से करीब 10 साल पहले जब स्मार्ट सिटी मिशन लॉन्च किया था, तब जालंधर को भी स्मार्ट बनने जा रहे शहरों की सूची में शामिल किया गया था। तब शहर के लोगों को लगा था कि उन्हें ऐसी अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी कि शहर की नुहार ही बदल जाएगी परंतु प्रधानमंत्री का यह मिशन पंजाब आकर फेल साबित हुआ और जालंधर में तो स्मार्ट सिटी मिशन के नाम पर खूब भ्रष्टाचार हुआ जिसकी चर्चा आज तक सुनाई दे रही है।
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अब तक जालंधर में करीब 60 प्रोजैक्ट चलाए गए। इनमें से आधे प्रोजैक्ट पूरे हो चुके हैं, बाकी लटक रहे हैं परंतु शायद ही कोई प्रोजैक्ट ऐसा हो जिसमें गड़बड़ी सामने न आई हो। भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते पंजाब सरकार ने जहां स्मार्ट सिटी के तमाम प्रोजैक्टों की विजिलेंस जांच के आदेश दे रखे हैं वहीं केंद्र सरकार ने भी स्मार्ट सिटी जालंधर में हुए भ्रष्टाचार की जांच का काम शुरू कर रखा है। केंद्र सरकार के तत्कालीन मंत्री हरदीप सिंह पुरी, साध्वी निरंजन ज्योति, अर्जुन मेघवाल और अनुराग ठाकुर ने भी जालंधर स्मार्ट सिटी में हुए भ्रष्टाचार की जांच संबंधी आश्वासन दे रखे हैं।
जालंधर स्मार्ट सिटी में भ्रष्टाचार का शोर मचने के चलते कुछ माह पहले केंद्र सरकार के संस्थान कैग (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ़ इंडिया) की टीम ने जालंधर स्मार्ट सिटी के खातों का ऑडिट किया। यह ऑडिट 2015-16 से लेकर 2022-23 तक की समय अवधि का किया गया। कैग ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों और जालंधर स्मार्ट सिटी को भेजी है, जिसमें जालंधर स्मार्ट सिटी में पिछले समय दौरान हुए घोटालों का पर्दाफाश किया गया है।
माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आधार पर आने वाले समय में केंद्र सरकार और पंजाब सरकार की संबंधित जांच एजैंसियां कोई न कोई एक्शन अवश्य लेंगीं और जो भी अफसर इस भ्रष्टाचार या घोटाले में संलिप्त रहे हैं, उनसे पूछताछ की जाएगी। कैग की रिपोर्ट आने के बाद पंजाब की अफसरशाही में हड़कंप सा मच गया है क्योंकि जालंधर स्मार्ट सिटी से संबंधित रहे आई.ए.एस. या अन्य स्तर के अधिकारी न केवल इस समय महत्वपूर्ण पोस्टों पर तैनात हैं, वहीं कुछ अफसर रिटायर होकर भारी भरकम पैंशन तक ले रहे हैं।