लुधियाना : स्थानीय एल्डिको एस्टेट वन के निकट वर्ष 2021 में एक 2 वर्ष 9 महीने के नाबालिग मासूम बच्ची दिलरोज के अपहरण और उसकी नृशंस हत्या के करने के आरोप में क्वालिटी रोड, शिमलापुरी, लुधियाना की एक महिला नीलम को सत्र न्यायाधीश मुनीश सिंघल की अदालत ने दोषी ठहराया है।
महिला आरोपी ने बच्ची को ज़मीन में जिंदा दफना दिया था और दम घुटने से उसकी मौत हो गई थी।महिला को सजा 15 अप्रैल को सुनाई जाएगी।बहस के दौरान, पीड़ित के वकील परुपकर घुम्मन ने जोर देकर कहा कि मासूम की हत्या ने नगर ही नहीं पंजाब को भी झकझोर कर रख दिया था। पीड़ित आरोपी का परिचित था, क्योंकि वह उसका पड़ोसी था। जिंदा दफनाए जाने के कारण बच्चे को हुई पीड़ा असामान्य है। दरअसल, आरोपी को पता था कि जिंदा दफनाए जाने पर मृतक की दम घुटने से मौत हो जाएगी और रेत/मिट्टी नाक, सांस की नली, फेफड़ों और फिर खून में और मुंह, आंख और कान में भी जा सकती है, जो इस मामले में हुआ। ऐसे मामलों में मौत बहुत दर्दनाक होती है क्योंकि मृतक सांस नहीं ले पाता। दरअसल, जिंदा दफनाए जाने की घटना भयानक मौत की सूची में काफी ऊपर है।
जब अदालत ने उसे महिला को दोषी ठहराया, तब अभियोजन पक्ष ने उसे मौत की सजा की मांग उठाई।जबकि, दोषी के वकील ने नरमी की मांग की।पीड़ित बच्ची के दादा शमिंदर सिंह के बयान के बाद 28 नवंबर, 2021 को शिमलापुरी थाने में आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।शिकायतकर्ता के मुताबिक़ महिला आरोपन नीलम का चाल-चलन ठीक न होने के कारण उसका पुत्र अपनी पत्नी को उससे मिलने से रोकता था,जिस कारण नीलम उसके पुत्र से रंजिश रखने लगी व बदला लेने की नीयत से उसने उसकी पोती जो गली में खेल रही थी को बहला-फुसला कर अपने ऐक्टिवा पर बिठा लिया व उसे हुसैनपुरा के निकट एल्डिको एस्टेट के पास सड़क के किनारे एक सुनसान जगह पर ज़मीन खोदकर जिंदा दफ़ना दिया,जिससे दम घुटने से मासूम बच्ची की मृत्यु हो गई।बाद में महिला को भी मोके पर पकड़ लिया गया।अदालत में अभियोजन पक्ष ने क़रीब 26 गवाह पेश किए व मामला सफलतापूर्वक साबित किया।